facebookmetapixel
इन 11 IPOs में Mutual Funds ने झोंके ₹8,752 करोड़; स्मॉल-कैप की ग्रोथ पोटेंशियल पर भरोसा बरकरारPM Kisan Yojana: e-KYC अपडेट न कराने पर रुक सकती है 21वीं किस्त, जानें कैसे करें चेक और सुधारDelhi Pollution: दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण ने पकड़ा जोर, अस्पतालों में सांस की बीमारियों के मरीजों की बाढ़CBDT ने ITR रिफंड में सुधार के लिए नए नियम जारी किए हैं, टैक्सपेयर्स के लिए इसका क्या मतलब है?जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा बड़ा जाल फरीदाबाद में धराशायी, 360 किलो RDX के साथ 5 लोग गिरफ्तारHaldiram’s की नजर इस अमेरिकी सैंडविच ब्रांड पर, Subway और Tim Hortons को टक्कर देने की तैयारीसोने के 67% रिटर्न ने उड़ा दिए होश! राधिका गुप्ता बोलीं, लोग समझ नहीं रहे असली खेलIndusInd Bank ने अमिताभ कुमार सिंह को CHRO नियुक्त कियाहाई से 40% नीचे मिल रहा कंस्ट्रक्शन कंपनी का शेयर, ब्रोकरेज ने कहा- वैल्यूएशन सस्ता; 35% तक रिटर्न का मौकात्योहारी सीजन में दिखा खरीदारी का स्मार्ट तरीका! इंस्टेंट डिजिटल लोन बना लोगों की पहली पसंद

इनसाइडर ट्रेडिंग पर लगाम लगाने के लिए गोपनीय जानकारी बताने पर सख्ती

Last Updated- May 19, 2023 | 12:06 AM IST
SEBI

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कीमत के लिहाज से संवेदनशील अप्रकाशित जानकारी (यूपीएसआई) की परिभाषा स्पष्ट बनाने का प्रस्ताव रखा है। इस कदम का मकसद सूचनाओं का बेहतर प्रसार सुनिश्चित करना और संभावित भेदिया कारोबार पर लगाम लगाना है। गुरुवार को जारी किए गए परामर्श पत्र में बाजार नियामक ने यूपीएसआई की परिभाषा को सेबी लिस्टिंग ऑब्लिगेशन ऐंड डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट्स (एलओडीआर) नियमों से जोड़ने का प्रस्ताव रखा।

एलओडीआर नियमों में सूचीबद्ध कंपनियों को खास घटनाक्रम या जानकारियों का खुलासा करने की जरूरत होती है। इनमें पुनर्खरीद, बोनस जारी करना, बोर्ड के निर्णय, समझौते, प्रस्तावित कोष उगाही और प्रबंधन में मुख्य बदलावों के बारे में स्टॉक एक्सचेंजों को जानकारी देना जरूरी है।

इस प्रस्ताव के साथ ऐसे प्रमुख खुलासों को यूपीएसआई यानी अघोषित जरूरी जानकारी की श्रेणी में रखा जाएगा और यह भेदिया कारोबार पर रोक से जुड़े सख्त मानकों के अधीन होगा। इससे पहले 29 मार्च को हुई अपनी पिछली बोर्ड बैठक में सेबी ने शीर्ष-100 सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा बाजार अफवाहों का पता लगाने और पुष्टि करने के लिए दायरा तय किया था।

सेबी ने जनवरी 2021 और सितंबर 2022 के बीच शीर्ष-100 सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा जारी 1,100 प्रेस विज्ञप्तियों का विश्लेषण किया था। उसने पाया कि 227 मामलों में प्रेस विज्ञप्ति जारी होने के बाद कंपनी के शेयर भाव में बड़ा उतार-चढ़ाव आया। इन 227 मामलों में 209 प्रेस विज्ञप्तियां यूपीएसआई के तौर पर श्रेणीबद्ध नहीं थीं। कुल 1.64 प्रतिशत प्रेस विज्ञप्तियों को सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा यूपीएसआई के तौर पर पेश किया गया था।

विश्लेषण से जड़ी प्रेस विज्ञप्तियां बिक्री, महत्वपूर्ण गठजोड़, संभावित निवेश, नियामकीय मंजूरियों, विस्तार और नई पेशकशों के बारे में घोषणाओं से संबंधित थीं। सेबी ने अपने एक चर्चा पत्र में कहा है, ‘जानकारी या घोषणा को यूपीएसआई के तौर पर श्रेणीबद्ध करने के संदर्भ में सूचीबद्ध इकाइयों द्वारा उठाए गए कदम और उसके परिणामस्वरूप अनुपालन पर्याप्त नहीं पाए गए हैं।’

सेबी द्वारा यूपीएसआई की परिभाषा व्यापक बनाए जाने से भेदिया कारोबार निरोधक मानकों के तहत अनुपालन में स्पष्टता आएगी। फिलहाल यूपीएसआई की परिभाषा वित्तीय नतीजों, लाभांश, विलय, विलय समाप्त करने, पूंजीगत ढांचे में बदलाव और व्यवसाय विस्तार तक सीमित नहीं थी। ये सभी घटनाक्रम शेयर भाव को प्रभावित कर सकते हैं।

सेबी ने कहा, ‘कई मामलों में, यह पाया गया कि जिन जानकारी/घटनाक्रम को यूपीएसआई के तौर पर शामिल किया जाना चाहिए, उन्हें सूचीबद्ध कंपनी द्वारा इस श्रेणी में शुमार नहीं किया गया।’ बाजार नियामक ने ऐसे कई मामलों का हवाला दिया जिनमें मौजूदा परिभाषा के तहत यूपीएसआई को अलग रखने की घोषणा के बाद कीमतों में 6 प्रतिशत से ज्यादा कीमत उतार-चढ़ाव आया।

बाजार नियामक का मानना है कि भेदिया कारोबार रोकने की दिशा में उसके प्रयास खास जानकारियों को श्रेणीबद्ध नहीं किए जाने की वजह से प्रभावित हो रहे हैं। परामर्श पत्र में कहा गया है, ‘एक कंपनी के कर्मचारी द्वारा कथित भेदिया कारोबार के मामले में, कर्मचारी का तर्क था कि यदि स्वयं कंपनी ने ही सूचना को अप्रकाशित संवेदनशील सूचना नहीं माना तो कर्मचारी ऐसा कैसे मान सकता था। इससे इस तथ्य का पता चला कि कंपनियां इस मामले में ज्यादा सतर्कता नहीं बरत रही थीं।’बाजार नियामक ने इस प्रस्ताव पर 2 जून तक सुझाव मांगे हैं।

First Published - May 18, 2023 | 11:58 PM IST

संबंधित पोस्ट