भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने 15 वर्षीय इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड के जरिये 10,000 करोड़ रुपये जुटाए हैं, जिसकी ब्याज दर 7.49 फीसदी रही। यह दर जुलाई में इन्फ्रा बॉन्ड के जरिये 7.54 फीसदी की ब्याज दर के मुकाबले 5 आधार अंक कम है। जनवरी में बैंक की तरफ से जारी इन्फ्रा बॉन्ड का प्रतिफल 7.7 फीसदी रहा था।
बॉन्ड बाजार के डीलरों ने कहा कि बाजारों में प्रतिफल में आई नरमी से एसबीआई को ब्याज की दर कम रखने में मदद मिली। लंबी अवधि की प्रतिभूतियों पर नजर रखने वालों की तरफ से इसे अच्छी प्रतिक्रिया मिली और 20,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की बोली हासिल हुई। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन और बीमा कंपनियां इस बॉन्ड के अहम निवेशक रहे।
बॉन्ड की पेशकश के दो हिस्से थे इश्यू का मूल आकार 4,000 करोड़ रुपये और 6,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त आवेदन को स्वीकारने का विकल्प। एसबीआई के अधिकारियों ने कहा कि इस बार की ब्याज दर जुलाई की पेशकश के मुकाबले बेहतर रही। 15 साल वाले भारत सरकार के बॉन्ड के साथ इसका अंतर इस बार 12 आधार अंक रहा जबकि जुलाई में यह 13 आधार अंक था।
उन्होंने कहा, जेपी मॉर्गन जीबीआई-ईएम इंडेक्स में भारत को शामिल करने की खबर का काफी कम असर रहा, लेकिन भविष्य में जारी होने वाले बॉन्डों को मुद्रा की सस्ती लागत के रूप में निश्चित तौर पर फायदा मिलेगा।
एसबीआई ने दिसंबर 2022 में बॉन्ड जारी किया था और तब उसने 7.51 फीसदी की दर पर 10,000 करोड़ रुपये जुटाए थे। बॉन्ड की परिपक्वता अवधि 10 साल थी।
आज की पेशकश के साथ इन्फ्रा बॉन्ड के जरिये पिछले व इस वित्त वर्ष में करीब 40,000 करोड़ रुपये जुटाए जा चुके हैं। एसबीआई के अधिकारी ने कहा, बैंक के निदेशक मंडल ने वित्त वर्ष 24 में इन्फ्रा बॉन्ड के जरिये 20,000 करोड़ रुपये तक जुटाने की मंजूरी दी थी। आज के बॉन्ड इश्यू के साथ मंजूर की गई पूरी रकम जुटाई जा चुकी है। वित्त वर्ष की बाकी अवधि में एसबीआई इन्फ्रा बॉन्ड की और पेशकश पर विचार कर सकता है, जिसकी वजह कीमत का फायदा आदि है।