सिक्किम की हिमालयी झील में हिमनद बाढ़ की आशंका को देखते हुए वैज्ञानिक और सरकारी अधिकारी पहले से ही चेतावनी देने वाली प्रणाली पर काम कर रहे थे और इसी बीच इसी हफ्ते यहां घातक आपदा देखने को मिली।
यह 50 वर्षों में क्षेत्र में देखी गई सबसे खराब आपदाओं में से एक थी। परियोजना से जुड़े अधिकारियों ने रॉयटर्स को बताया कि लोनाक झील के स्तर और मौसम की निगरानी के लिए पूरा तंत्र स्थापित किए जाने की योजना के तहत शुरुआत में एक कैमरा और उपकरण पिछले महीने ही लगाए गए थे।
वैज्ञानिकों ने कहा कि अगर यह प्रणाली पूरी तरह काम कर रही होती तो लोगों को वहां से निकलने के लिए अधिक समय मिल सकता था। पहले लोनाक झील से जुड़ी चेतावनी प्रणाली का ब्योरा नहीं दिया गया था। परियोजना से जुड़े यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूरिख के भूवैज्ञानिक साइमन एलन ने कहा, ‘यह वास्तव में अजीब बात हुई क्योंकि यह सब कुछ हमारी टीम के वहां पहुंचने के दो सप्ताह बाद ही हुआ।’
उन्होंने कहा कि यहां एक ट्रिपवायर सेंसर जोड़ने की योजना बनाई गई थी जो झील के फटने से पहले ही संकेत दे। यह एक चेतावनी प्रणाली से भी जुड़ा होता जो निवासियों को जगह तुरंत खाली करने की चेतावनी देगा। उन्होंने कहा, ‘भारत सरकार इस साल ऐसा करने के लिए तैयार नहीं थी, इसलिए इसे दो चरणों की प्रक्रिया के तहत किया जा रहा था।’
परियोजना की जानकारी रखने वाले एक भारतीय अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि इस प्रणाली के लिए उपयुक्त डिजाइन तैयार किया जा रहा है। परियोजना में मददगार स्विस दूतावास के एक सूत्र के अनुसार, इन स्थापित निगरानी उपकरणों को अधिकारियों को डेटा भेजना था, लेकिन सितंबर के अंत में कैमरे की बिजली का स्रोत किसी अज्ञात कारण से निष्क्रिय हो गया।
जलवायु परिवर्तन के कारण ऊंचे पहाड़ों वाले क्षेत्र गर्म हो जाता है और इसके चलते आसपास के इलाके में रहने वाले कई समुदायों को खतरनाक हिमनद झील के फटने से आई बाढ़ (जीएलओएफ) का सामना करना पड़ रहा है।
पिघले हुए हिमनद के पानी को संग्रहित करने वाली झीलों के ज्यादा भरने से यह फट जाता है और इसके चलते पहाड़ी घाटियों में बाढ़ के पानी की तेज धाराओं का कहर देखने को मिलता है।
वर्ष 2022 के शोध के अनुसार, अब भारत, पाकिस्तान, चीन, नेपाल और भूटान में हिमालय क्षेत्र के समुदायों के लिए 200 से अधिक ऐसी झीलें बहुत अधिक खतरा पैदा कर रही हैं। हाल के वर्षों में चीन, नेपाल, पाकिस्तान और भूटान में हिमनद बाढ़ से जुड़ी पहले चेतावनी देने वाली प्रणाली तैनात की गई है।
परियोजना की जानकारी रखने वाले एक भारतीय अधिकारी ने कहा कि योजना यह थी कि अन्य खतरनाक झीलों से पहले लोनाक झील में हिमनद बाढ़ की आशंका को देखते हुए भारत की पहली प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली का प्रायोगिक परीक्षण किया जाए। इसके अलावा सिक्किम में पास के शाको चो के नजदीक भी एक और पूर्व चेतावनी प्रणाली का प्रायोगिक परीक्षण करने की योजना थी। वैज्ञानिक कई वर्षों से कह रहे हैं कि इन दो झीलों में बाढ़ का खतरा है, लेकिन डिजाइन प्रक्रिया और फंडिंग की खोज के कारण समय बीतता गया और कोई प्रगति नहीं हुई।
भारत के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के एक वरिष्ठ अधिकारी कमल किशोर ने कहा कि भारत कई अन्य हिमनद झीलों में प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली लगाने की योजना बना रहा है। हालांकि उन्होंने लोनाक परियोजना पर किसी सवालों के जवाब नहीं दिए।
हालांकि, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान इंदौर के हिमनद विशेषज्ञ फारूक आजम ने कहा कि भले ही यह प्रणाली स्थापित कर दी गई हो, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि स्पष्ट रूप से इसका लाभ मिले।
उन्होंने कहा, ‘इस तरह की घटनाएं इतनी तेजी से होती हैं कि भले ही हमारे पास किसी तरह की पूर्व चेतावनी प्रणाली हो लेकिन इससे हमें केवल कुछ मिनट का वक्त मिल सकता है या फिर शायद एक घंटे का वक्त मिल सकता है।’
क्या सीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट को नजरअंदाज किया गया
सिक्किम में हिमनद झील के फटने और अचानक विकट बाढ़ आने के बारे में तमाम अध्ययनों से अलग केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के 2015 में किए गए एक अध्ययन में राज्य सरकार को स्पष्ट रूप से आगाह किया गया था कि तीस्ता नदी पर बनी ज्यादातर जलविद्युत परियोजनाएं इस तरह की प्राकृतिक आपदाओं के मद्देनजर अत्यधिक संवेदनशील हैं।
ल्होनक झील के कुछ हिस्सों में एक ‘जीएलओएफ’ उत्पन्न हुआ, जिससे चार अक्टूबर के शुरुआती घंटों में तीस्ता नदी घाटी के निचले हिस्से में बहुत तेजी के साथ जल स्तर में वृद्धि हुई। इसके कारण मंगन, गंगटोक, पाकयोंग और नामची जिलों में जबरदस्त क्षति हुई। ‘जीएलओएफ’ एक प्रकार की बाढ़ है जो तब उत्पन्न होती है जब ग्लेशियर द्वारा रोका गया पानी अचानक छोड़ दिया जाता है।
मृतकों की संख्या 22 हुई, 103 लोगों की तलाश जारी
सिक्किम में बादल फटने से तीस्ता नदी में अचानक आई बाढ़ के तीन दिन बाद, इसके जल प्रवाह वाले निचले इलाकों में मिले शवों की संख्या बढ़कर 22 हो गई है। मृतकों में सेना के सात जवान भी शामिल हैं।
मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने शुक्रवार को बताया कि बरदांग इलाके से लापता हुए सेना के 23 जवानों में से सात के शव निचले इलाकों के विभिन्न हिस्सों से बरामद किए गए हैं, जबकि एक को बचा लिया गया तथा लापता जवानों की तलाश सिक्किम और उत्तर बंगाल में जारी है।
घटना में जान गंवाने वाले सेना के सात जवानों में से चार की पहचान कर ली गई है। उत्तर सिक्किम में ल्होनक झील के ऊपर बुधवार सुबह बादल फटने से तीस्ता नदी में अचानक आई बाढ़ के बाद 15 जवानों समेत कुल 103 लोग अब भी लापता हैं। सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने राज्य में बाढ़ में जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को 4 लाख रुपये अनुग्रह राशि देने की घोषणा की।
उन्होंने राहत शिविरों में रह रहे प्रत्येक व्यक्ति को 2 हजार रुपये तत्काल राहत के रूप में देने की भी घोषणा की। तमांग ने कहा कि यह राज्य सरकार की ओर से दी गई अस्थायी राहत है जबकि नुकसान की वास्तविक सीमा का आकलन जारी है।