बैंकिंग नियामक की तरफ से असुरक्षित कर्ज (Unsecured Loan) पर ज्यादा जोखिम भारांक के निर्देश के बाद देश के सबसे बड़े लेनदार भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ऐसे कर्ज पर ब्याज दरों में इजाफा करेगा।
असुरक्षित कर्ज पर जोखिम भारांक में बढ़ोतरी का एसबीआई के शुद्ध ब्याज मार्जिन पर सिर्फ 2-3 आधार अंक का असर पड़ेगा। बैंक के चेयरमैन दिनेश खारा ने बुधवार को यह जानकारी दी।
बुधवार को एक बैंकिंग कार्यक्रम के बाद संवाददाताओं से बातचीत करते हुए एसबीआई चेयरमैन ने कहा, अगर हमारे फंड की लागत बढ़ रही है तो हम निश्चित तौर पर ब्याज दरें बढ़ाएंगे।
पिछले हफ्ते गुरुवार को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ऐसे कर्ज पर जोखिम भारांक 100 फीसदी से बढ़ाकर 125 फीसदी कर दिया था। बड़ी एनबीएफसी को बैंक कर्ज पर जोखिम भारांक भी 25 आधार अंक बढ़ाया गया है। नए नियम नए और बकाया दोनों तरह के कर्ज पर लागू हैं।
खारा ने कहा, ड्यू डिलिजेंस का प्रतिबिंब सकल एनपीए है। हमारा सकल एनपीए 0.7 फीसदी है, जो कुल खुदरा उधारी खाते का है, जिसमें असुरक्षित क्षेत्र शामिल है और यह हमारे ड्यू डिलिजेंस और नियंत्रण की व्यवस्था को प्रतिबिंबित करता है।
उन्होंने कहा, शुद्ध ब्याज मार्जिन पर अगली तिमाही में 2-3 आधार अंक का असर होगा। एसबीआई के देसी परिचालन का शुद्ध ब्याज मार्जिन वित्त वर्ष 24 की दूसरी तिमाही में 12 आधार अंक घटकर 3.43 फीसदी रह गया, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 3.55 फीसदी रहा था। क्रमिक आधार पर भी शुद्ध ब्याज मार्जिन पहली तिमाही के 3.47 फीसदी के मुकाबले कम रहा।
आरबीएल बैंक के एमडी व सीईओ आर सुब्रमण्य कुमार ने कहा, लेनदार हालांकि पर्याप्त रूप से पूंजीकृत है, लेकिन नए नियम क्रेडिट कार्ड कारोबार पर असर डाल रहे हैं।
उन्होंने कहा, आरबीएल बैंक का कॉमन इक्विटी टियर-1 15.15 फीसदी है और हम पर्याप्त रूप से पूंजीकृत हैं। हमने सीआरएआर 17.07 फीसदी पर दिया है। इसका हमारे क्रेडिट कार्ड कारोबार पर असर होगा। हमारे कुल बिजनेस पर असर 60 आधार अंकों का होगा।
आरबीएल बैंक के सीईओ ने कहा, सख्त नियमों के बावजूद बैंक अपनी सालाना योजना में घोषित वृद्धि हासिल करने में कामयाब होगा।
उन्होंने कहा, पूंजी जुटाने की हमारी कोई योजना नहीं है। एनबीएफसी को दिए गए कर्ज पर काफी कम असर होगा। बैंकरों ने कहा, नियामक का संकेत असुरक्षित कर्ज पर रफ्तार धीमी करने का है।
एचएसबीसी इंडिया के सीईओ हितेंद्र दवे ने कहा, इरादा रफ्तार धीमी करने का तो है ही, साथ ही इसे और कानूनी दंड से जोड़ने का भी है। हमारे ऊपर पड़ने वाले असर के बारे में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी क्योंकि हमारे खाते में बहुत ज्यादा असुरक्षित कर्ज नहीं है।
बैंकिंग कार्यक्रम में आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि हालिया कदमों का लक्ष्य सस्टैनिबिलिटी है। दास ने यह भी याद दिलाया कि नियामक ने उन क्षेत्रों को इससे अलग रखा है, जो उच्च जोखिम भारांक से वृद्धि को आगे ले जाने के मामले में अहम हैं।
दास ने कहा, हमने हाल में सस्टैनिबिलिटी को लेकर कुछ और बुद्धिमत्तापूर्ण कदमों का ऐलान किया है। यह नोट करना प्रासंगिक होगा कि हाउसिंग, वाहन कर्ज और एमएसएमई क्षेत्र को इन कदमों से अलग रखा गया है।