प्रशासनिक और ग्राहक सुरक्षा को मजबूत बनाने के कदम के तौर पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) रेग्युलेटेड एंटिटीज (RE) के लिए सेल्फ-रेगुलेटरी संगठनों (एसआरओ) को मान्यता देने और आरई में इंटरनल ओम्बड्समैन व्यवस्था के लिए नियमों को अनुकूल बनाने के लिए ढांचा तैयार करेगा।
आरबीआई ने ‘डेवलपमेंट ऐंड रेग्युलेटरी पॉलिसीज’ पर एक बयान में कहा कि नियामक एसआरओ को मान्यता देने के लिए एक सर्वव्यापी ढांचा जारी करेगा, क्योंकि उनके सदस्यों के बीच अनुपालन व्यवस्था मजबूत बनाने और नीति निर्माण के लिए एक परामर्शी मंच प्रदान करने में उनकी अहम योगदान है। यह बयान मौद्रिक नीति समीक्षा बयान के साथ साथ जारी किया गया था। शुरू में, आरबीआई हितधारकों की टिप्पणियों के लिए ढांचे का मसौदा जारी करेगा।
आरबीआई का व्यापक एसआरओ ढांचा विभिन्न उद्देश्यों, कार्यों, पात्रता मानदंड, संचालन मानकों आदि को निर्धारित करेगा। यह ढांचा सभी एसआरओ के लिए समान होगा, चाहे क्षेत्र कोई सा हो।
बयान में कहा गया है कि ऐसे एसआरओ को मान्यता देने के लिए आवेदन मांगते समय रिजर्व बैंक क्षेत्र-केंद्रित अतिरिक्त शर्तें निर्धारित कर सकता है। शिकायत निवारण प्रणाली में सुधार के कदमों का जिक्र करते हुए आरबीआई ने कहा कि आरई की विभिन्न श्रेणियों के लिए इंटरनल ओम्बड्समैन ढांचे के संबंध में मौजूदा दिशा-निर्देशों में समान विशेषताएं हैं, लेकिन परिचालन मामलों में कुछ भिन्नताएं हैं। आईओ दिशा-निर्देशों के क्रियान्वयन से प्राप्त अनुभव के आधार पर ये बदलाव किए जाने और मास्टर डायरेक्शन जारी करने का निर्णय लिया गया है।
मास्टर डायरेक्शन आईओ के लिए शिकायतें बढ़ाने की समय-सीमा, इंटरनल ओम्बड्समैन के अस्थायी अभाव जैसे मामलों पर ध्यान केंद्रित करेगा। डिप्टी इंटरनल ओम्बड्समैन पद की शुरुआत के अलावा, इंटरनल ओम्बड्समैन नियुक्त करने और रिपोर्टिंग फॉर्मेट के उन्नयन के लिए न्यूनतम योग्यता भी निर्धारित की जाएगी।
वर्ष 2015 में, आरबीआई ने आंतरिक शिकायत निवारण (आईजीआर) प्रणाली मजबूत बनाने के लिए कुछ खास वाणिज्यिक बैंकों में इंटरनल ओम्बड्समैन (आईओ) की शुरुआत की थी। इसका मकसद ग्राहकों की शिकायतों का उचित समाधान सुनिश्चित करना था। धीरे धीरे इस ढांचे को अन्य विनियमित इकाइयों से भी जोड़ा गया था।