राज्य सरकारों की बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को बुनियादी ढांचे के विस्तार के लिए काम काज करने की पूंजी की जरूरत है। ऐसे में डिस्कॉम ने केंद्र सरकार के समक्ष संपत्ति के मुद्रीकरण का विचार रखा है।
केंद्रीय बिजली मंत्रालय की ओर से ‘डिस्कॉम के ऋण की सततता’ के लिए गठित समिति की बैठक में कुछ राज्यों के बिजली विभागों और डिस्कॉम ने इस विचार का समर्थन किया है।
यह विचार ऐसे समय सामने आया है, जब देश के तमाम राज्यों में बिजली की मांग रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। इसकी वजह से राज्यों में बिजली आपूर्ति में कमी की स्थिति और गंभीर हुई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यही वजह है कि राष्ट्रीय स्तर पर ग्रिड पर पड़ रहे लोड के कुशलता से प्रबंधन की समस्या बढ़ी है। वहीं राज्यों के पारेषण नेटवर्क पर बोझ बढ़ने से भी संकट बढ़ा है और अतिरिक्त बिजली खरीदने की सीमित क्षमता की चुनौती भी सामने आ रही है।
इस समिति में राज्यों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व है। इसके माध्यम से केंद्रीय बिजली मंत्रालय डिस्कॉम के लिए धन के अन्य नए स्रोतों की संभावना तलाशना चाहता है। कई सूत्रों ने यह बताया कि समिति ने डिस्कॉम की संपत्तियों जैसे पारेषण नेटवर्क और भूमि बैंक के मुद्रीकरण पर चर्चा की है। मुद्रीकरण का एक साधन प्रस्तावित इनविट मार्ग है।
इस समिति की अध्यक्षता तमिलनाडु जेनरेशन ऐंड डिस्ट्रीब्यूशन कॉर्पोरेशन (टीएएनजीईडीसीओ) के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक राजेश लखोनी कर रहे हैं। इस समिति में राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और सरकारी फाइनैंसर पीएफसी और आरईसी शामिल हैं। एक अधिकारी ने कहा कि आरईसी ने इसके लिए पहले ही पीडब्ल्यूसी को वित्तीय सलाहकार नियुक्त कर दिया है।
इस मामले से जुड़े एक सूत्र ने कहा, ‘हमारी उधारी के ब्याज की भरपाई सामान्यतया शुल्क से की जाती है। हालांकि मूलधन डिस्कॉम के लिए चिंता का विषय है। डिस्कॉम की बही में मूलधन के बोझ कम करने के लिए हम कुछ ऐसे विकल्प की तलाश कर रहे हैं। इस तरह का एक विकल्प उदय योजना थी, लेकिन उस समय राज्य सरकारों को धन देने वाले दबाव में आ सकते थे। इसलिए इनविट के विकल्प पर विचार चल रहा है।’
सूत्रों के मुताबिक इस समय राज्य स्तर पर डिस्कॉम के लिए एक ट्रस्ट या राष्ट्रीय स्तर पर एक नोडल ट्रस्ट बनाने पर विचार किया जा रहा है, जिसका इस्तेमाल सभी राज्यों की कंपनियों द्वारा किया जा सकेगा। सूत्र ने कहा, ‘हम डिस्कॉम बुक से कर्ज का स्थानांतरण करना चाहते हैं और यह एक विकल्प है, जिस पर विचार चल रहा है।
केंद्र सरकार द्वारा डिस्कॉम के कर्ज के पुनर्गठन के लिए चौथी योजना और भाजपा के शासन में डिस्कॉम के सुधार की पहली योजना उदय लाई गई थी, जिसका मकसद वित्तीय और परिचालन घाटे को साफ करना था। इस योजना के तहत राज्य सरकारों को अपने डिस्कॉम की हानि अपने ऊपर लेना और उसके एवज में बॉन्ड जारी करना था। इससे डिस्कॉम को विरासत में मिली हानि और ऋण को कम करने में मदद मिली लेकिन 2019-20 में योजना समाप्त होने के बाद डिस्कॉम का घाटा बढ़ गया।
हाल की डिस्कॉम सुधार योजना आरडीएसएस में सुधार का अलग तरीका अपनाया गया। इसमें केंद्र सरकार के अनुदान को डिस्कॉम के परिचालन और वित्तीय प्रदर्शन से जोड़ा गया। इसमें कर्ज के रिसाइक्लिंग का कोई हिस्सा शामिल नहीं था।
घाटा कम होने के बावजूद कुछ डिस्कॉम का कर्ज ज्यादा बना हुआ है। इस साल अप्रैल में बिजली वित्त निगम (पीएफसी) की एकीकृत रैंकिंग और रेटिंग रिपोर्ट से पता चलता है कि इसमें वित्तीय संकट से जूझ रही राज्य सरकारों की वितरण कंपनियां हैं, जो नकदी के संकट और अपने राज्य के विभागों के पूंजीगत व्यय घटने के संकट से जूझ रही हैं।