प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निजी क्षेत्र से बजट की घोषणाओं का लाभ उठाने और अपना पूंजीगत निवेश बढ़ाने का आह्वान किया है। उन्होंने आज कहा कि केंद्र सरकार भी अपना पूंजीगत व्यय बढ़ा रही है, इसलिए निजी क्षेत्र को भी निवेश के लिए आगे आना चाहिए।
बजट प्रस्तावों पर चर्चा करते हुए मोदी ने कहा, ‘मैं निजी क्षेत्र से केंद्र सरकार की ही तरह अपना निवेश बढ़ाने का आह्वान करता हूं ताकि देश को इसका अधिकतम लाभ मिल सके।’ उन्होंने बताया कि केंद्र ने वित्त वर्ष 2024 के लिए पूंजीगत व्यय 33 फीसदी बढ़कर 10 लाख करोड़ रुपये कर दिया है। इस रणनीतिक पैकेज का उद्देश्य आर्थिक परिदृश्य में निजी निवेश को बढ़ावा देना है। प्रधानमंत्री ने कहा कि एक समय था जब दुनिया भारत को संदेह की नजर से देखती थी और भारत की अर्थव्यवस्था, बजट तथा लक्ष्यों पर चर्चा अक्सर सवाल के साथ शुरू और खत्म होती थी।
बजट प्रस्तावों को लागू करने के लिए विचार और सुझाव की 12 खंड की श्रृंखला के 10वें हिस्से में वेबिनार को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, ‘भारत वित्तीय अनुशासन, पारदर्शिता और समावेशी दृष्टिकोण से चलता है और इसलिए चर्चा की शुरुआत से लेकर अंत तक बरकरार रहने वाले सवालिया निशान को विश्वास और अपेक्षा में बदल दिया गया है।’केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा था कि केंद्र सरकार को वित्त वर्ष 2023 में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 6.4 फीसदी पर सीमित करने के लक्ष्य तक पहुंचने की उम्मीद है। सरकार वित्त वर्ष 2024 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 5.9 फीसदी रख रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत नई क्षमताओं के साथ आगे बढ़ रहा है। ऐसे में वित्तीय क्षेत्र के लोगों की जिम्मेदारी बढ़ गई है क्योंकि उनके पास दुनिया की मजबूत वित्तीय व्यवस्था और ऐसी बैंकिंग प्रणाली है, जो मुनाफे में लौट आई है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘समय की मांग है कि भारत की मजबूत बैंकिंग प्रणाली का लाभ अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे और यह काफी महत्त्वपूर्ण है कि हमारे बैंक एमएसएमई तक पहुंचें और उन्हें पर्याप्त वित्तीय सुविधा उपलब्ध कराएं।’ उन्होंने वित्तीय क्षेत्र के सभी हितधारकों से आह्वान किया कि लागत घटाने और ऋण वितरण में तेजी लाने के लिए सभी प्रक्रियाओं को नए सिरे से दुरुस्त किया जाए ताकि इसका लाभ देश में वित्तीय समावेशन को रफ्तार देने वाले छोटे उद्यमियों तक पहुंच सके।
मोदी ने कहा कि जीएसटी लागू होने और आयकर एवं कॉरपोरेट कर में कटौती किए जाने से करदाताओं पर कर का बोझ कम हुआ है। इससे कर संग्रह को बेहतर करने में मदद मिली है। यही कारण है वित वर्ष 2014 में सकल कर राजस्व करीब 11 लाख करोड़ रुपये था, जो 200 फीसदी बढ़कर 2023-24 में 33 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। व्यक्तिगत कर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या भी 2013-14 में 3.5 करोड़ से बढ़कर 2020-21 में 6.5 करोड़ हो चुकी है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘कर अदा करना वह कर्तव्य है, जो सीधे तौर पर राष्ट्र निर्माण से जुड़ा है। कर आधार में वृद्धि इस बात का प्रमाण है कि लोगों का इस सरकार में भरोसा है और वे मानते हैं कि उनके द्वारा भरा गया कर जनता की भलाई के कार्यों में खर्च होता है।’
प्रधानमंत्री ने उद्योग संगठन जैसे हितधारकों से कहा कि उन्हें जिला स्तर तक स्थानीय कारीगरों और उद्यमियों को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।