मोजाम्बिक के बंदरगाहों पर भारत भेजी जा रही कम से कम 1,50,000 टन अरहर की दाल अटकी हुई है। उद्योग के पांच अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि विक्रताओं के बीते कुछ हफ्तों के दौरान कई अनुरोध किए जाने के बावजूद कस्टम विभाग से अनुमति नहीं मिली है।
भारत विश्व में अरहर का सबसे बड़ा उत्पादक व उपभोग करने वाला देश है। लेकिन जनवरी की नई फसल आने से पहले साल के अंतिम पखवाड़े में आयातित अरहर पर आश्रित रहता है। भारत में मंगवाई जाने वाली आधी से अधिक अरहर का आयात मोजाम्बिक से होता है।
मोजाम्बिक की खेप में देरी होने के कारण प्रोटीन युक्त इस दाल के दाम चढ़ने शुरू हो गए हैं। भारत में इसे तूर दाल के नाम से भी जाना जाता है। त्योहारी मौसम के दौरान इसकी खपत बढ़ जाती है।
मोजाम्बिक के बीरा स्थित मैडेन सऊदी अरब की स्थानीय सहायक कंपनी मोजग्रेन एलडीए के प्रबंध निदेशक सुहास चौगुले ने बताया, ‘अभी बंदरगाह के गोदामों में अरहर की खेप को रखा गया है और विक्रेताओं को भंडारण व कीटों से बचाव करने के लिए अच्छी खासी रकम खर्च करनी पड़ रही है।
‘निर्यात के लिए सभी अनिवार्य दस्तावेज होने के बावजूद 200 कंटेनर फंसे हुए हैं। मोजाम्बिक में कस्टम के अधिकारी अनुमति नहीं दे रहे हैं और न ही कोई कारण बता रहे हैं।’
मोजाम्बिक की खेप देर से आने के कारण भारत में बीते दो महीनों के दौरान थोक मूल्य में करीब 10 प्रतिशत इजाफा हो गया है। आपूर्ति कम होने के मौसम में स्टॉक भी कम हो गया है। इससे इस महीने होने वाले कुछ राज्यों में चुनावों और अगले साल के आम चुनावों से पहले खाद्य मुद्रास्फीति में वृद्धि होनी शुरू हो गई है।
हालांकि कारोबारियों के अनुसार कुछ निर्यातकों ने निर्यात की अनुमति हासिल कर ली है और उन्हें 50,000 टन अरहर की खेप भेजने की अनुमति मिल गई है।
रॉयटर्स के सवाल के जवाब में मोजाम्बिक के कृषि मंत्रालय ने अक्टूबर में जारी बयान साझा किया है। इस बयान के मुताबिक सीमा शुल्क की प्रक्रिया के दौरान 22 सितंबर से स्वच्छता व गुणवत्ता से संबंधित प्रमाणपत्र रद्द कर दिया गया था क्योंकि 400 प्रमाणपत्र जाली या या संदेहास्पद मिले थे। हालांकि इन्हें बाद में लाइसेंस जारी कर दिया गया था।
अरहर की प्रमुख फसल वाले क्षेत्रों में अगस्त और अक्टूबर के दौरान कम बारिश होने से 2023/24 के दौरान अरहर का उत्पादन गिरने की आशंका है। सरकारी अनुमानों के मुताबिक भारत को 31 मार्च, 2024 तक 12 लाख टन अरहर के दाल की आयात की जरूरत हो सकती है जबकि बीते साल भारत ने 8,94,420 टन अरहर का आयात किया था।
मुंबई में दाल के आयातक सतीश उपाध्याय ने बताया कि खेप में देरी के कारण हाल के हफ्तों में अरहर की दाल की मूल्य 100 डॉलर प्रति टन बढ़ गया है।
उन्होंने कहा, ‘मोजाम्बिक को पता है कि भारत को इस साल स्थानीय फसल खराब होने के कारण आयातित अरहर की दाल की अत्यधिक जरूरत है। वे इस स्थिति का फायदा उठा रहे हैं।’
उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने बीते महीने नई दिल्ली में मोजाम्बिक के उच्चायुक्त एमिंडौ ए. परेरा से मुलाकात की थी। परेरा ने आश्वासन दिया था कि भारत में खेप की आपूर्ति सामान्य की जाएगी। लेकिन स्थिति में सुधार नहीं आया है।
इंडियन पल्स ऐंड ग्रेन एसोसिएशन के चेयरमैन बिमल कोठारी ने कहा, ‘लगता यह है कि मोजाम्बिक खेप में देरी और भारत की खाद्य सुरक्षा को बंधक बनाकर भारत की कम आपूर्ति की स्थिति का फायदा उठा रहा है।’