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Opinion: स्वच्छ ऊर्जा को लेकर बढ़ीं सुर्खियां

भारत दुनिया के बड़े गीगावॉट पैमाने वाले बाजारों में से एक है और यहां इसको लेकर काफी गतिविधियां बढ़ रही हैं।

Last Updated- September 12, 2023 | 11:24 PM IST
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पवन ऊर्जा की लोकप्रियता इस वक्त शीर्ष स्तर पर है। वैश्विक स्तर पर पवन ऊर्जा तंत्र को स्थापित करने की रफ्तार में तेजी आई है और अगले कुछ वर्षों में इसके और उत्साहजनक बने रहने की उम्मीद है।

ब्लूमबर्ग एनईएफ के अनुसार इसकी लागत में बढ़ोतरी और इसकी मंजूरी से जुड़ी चुनौतियों के बावजूद 2023 में लगभग 110 गीगावॉट नई तटवर्ती और अपतटीय पवन ऊर्जा क्षमता जोड़ी जाएगी और बाद के सभी वर्षों में यह क्षमता उससे कहीं अधिक होगी।

भारत दुनिया के बड़े गीगावॉट पैमाने वाले बाजारों में से एक है और यहां इसको लेकर काफी गतिविधियां बढ़ रही हैं। भारत के अरबपति मुकेश अंबानी ने पिछले दिनों अपने समूह रिलायंस इंडस्ट्रीज के लिए जिन योजनाओं की घोषणा की उनमें पवन ऊर्जा एक प्रमुख क्षेत्र था। इसी तरह सौर ऊर्जा की भी बात की गई थी।

रिलायंस समूह का लक्ष्य 2025 के अंत तक एक ही स्थान पर मॉड्यूल, सेल, वेफर्स, पॉलिसिलिकन और ग्लास का निर्माण करना है। मुकेश अंबानी ने कहा, ‘हमारी पहली प्राथमिकता एक एकीकृत, सौर पीवी विनिर्माण तंत्र तैयार करना है। यह विश्व स्तर पर सबसे बड़े, सबसे तकनीकी रूप से उन्नत, लचीले और सबसे अधिक लागत-प्रतिस्पर्धी सौर गीगा कारखानों में से एक होगा।’

बीएनईएफ का अनुमान है कि बेहतरीन एकीकृत निर्माता अब 14.1 अमेरिकी सेंट प्रति वॉट के हिसाब से सौर मॉड्यूल तैयार कर सकते हैं। सौर पैनल की कीमतों में 9 प्रतिशत की गिरावट के अनुमान हैं और यह साल के अंत तक 14.5 अमेरिकी सेंट प्रति वॉट के नए निचले स्तर पर पहुंच सकता है। इस साल वैश्विक स्तर पर लगभग 400 गीगावॉट नई सौर उत्पादन क्षमता के ऑनलाइन आने की संभावना है, जो एक और रिकॉर्ड स्थापित करेगा। चीन, अमेरिका और ब्राजील के बाद भारत दुनिया के पांच सबसे बड़े बाजारों में से एक है।

अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के अनुसार, 2023 में पहली बार तेल उत्पादन की तुलना में सौर ऊर्जा ही वास्तव में अधिक पूंजी आकर्षित करने में सक्षम होगा। भारत के सौर पैनलों का निर्यात अमेरिका में बढ़ रहा है क्योंकि दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था द्वारा लगाए गए व्यापार अवरोधों और शुल्क की वजह से अन्य क्षेत्रों से निर्यात को प्रोत्साहन नहीं मिल रहा है।

सिलिकन सेल पर नया शुल्क लगाया गया है जिसमें चीन के वेफर्स का इस्तेमाल होता है और यह जून 2024 से प्रभावी होगा। यूएस इंटरनैशनल ट्रेड कमीशन के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2023 की पहली छमाही में भारत ने अमेरिका को लगभग 2.3 गीगावॉट मॉड्यूल भेजे, जो 2022 के 0.6 गीगावॉट से काफी अधिक है।

अन्य क्षेत्रों में हाइड्रोजन इलेक्ट्रोलाइजर को भेजने की दर 2023 में दोगुनी होने की उम्मीद है और 2024 में भी ऐसा ही होने की उम्मीद है, हालांकि यह परियोजना में देरी और निर्माताओं की तकनीकी समस्याओं के बावजूद संभव होगा। बीएनईएफ ने 1.7-2.1 गीगावॉट के शिपमेंट का अनुमान लगाया है, जो छह महीने पहले की उम्मीदों के मुताबिक निचला स्तर है। अंबानी ने भी ‘पूरी तरह से एकीकृत, स्वचालित, गीगा-स्केल इलेक्ट्रोलाइजर विनिर्माण सुविधा’ स्थापित करने की योजना के बारे में बात की है।

कार्बन कैप्चर (कार्बन को अवशोषित करने की प्रक्रिया) करने के लिए बाजार में कई महत्त्वपूर्ण घोषणाएं हुईं। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में सबसे बड़ी तेल उत्पादक कंपनी अबु धाबी नैशनल ऑयल कंपनी ने घोषणा की कि यह प्रति वर्ष 15 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करने के लिए एक परियोजना पर काम करेगी। इस अवशोषित कार्बन का एक हिस्सा स्थायी रूप से भूमिगत कर दिया जाएगा जबकि कुछ का उपयोग ज्यादा तेल निकालने के लिए किया जाएगा। इस परियोजना के 2026 तक शुरू होने की संभावना है।

वॉरेन बफेट समर्थित ओसीडेंटल पेट्रोलियम ने कार्बन इंजीनियरिंग के साथ अपने दीर्घकालिक संबंधों की औपचारिक घोषणा करते हुए कहा कि यह 1.1 अरब डॉलर में स्टार्टअप खरीदेगी। कार्बन इंजीनियरिंग प्रत्यक्ष रूप से वायु अवशोषित (डीएसी) करने का समाधान देती है।

बीएनईएफ के अनुसार डीएसी बाजार वर्ष 2050 तक प्रति वर्ष 150 अरब डॉलर तक हो सकता है। इस बीच इक्विनॉर ने बायू बेंड सीसीएस में 25 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल की जो दक्षिण-पूर्व टैक्सस में खाड़ी तट पर सबसे बड़ी अमेरिकी कार्बन कैप्चर और भंडारण परियोजनाओं में से एक है।

कंटेंम्पररी एम्पेरेक्स टेक्नोलॉजी कंपनी, या सीएटीएल ने घोषणा की कि इसकी नई शेनजिंग बैटरी तेज चार्जिंग सुविधा देने में सक्षम होगी, जिसमें केवल 10 मिनट में 400 किलोमीटर तक चलने की क्षमता हो सकती है जबकि एक बार चार्ज करने पर 700 किलोमीटर की यात्रा संभव होगी। बीएनईएफ को उम्मीद है कि यह बैटरी नए इलेक्ट्रिक वाहनों में लीथियम आयरन फॉस्फेट (एलएफपी) बैटरी को अधिक लोकप्रिय बना सकेगी।

वियतनाम की इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनी विनफास्ट हाल ही में नैसडेक ग्लोबल सेलेक्ट मार्केट में विशेष उद्देश्य अधिग्रहण कंपनी ब्लैक स्पेड अधिग्रहण के माध्यम से सूचीबद्ध हुई और अब यह अस्थायी रूप से गोल्डमैन सैक्स समूह और बोइंग की तुलना में अधिक मूल्यवान हो गई है। दिलचस्प बात यह है कि विनफास्ट ने 2022 में 63.4 करोड़ डॉलर की कमाई की।

बीएनईएफ के ताजा आकलन के अनुसार भारत में सड़कों पर यात्री वाहनों की संख्या 2040 तक 10 करोड़ तक पहुंच सकती है, जो वर्तमान स्तर से 150 प्रतिशत अधिक है। वैश्विक स्तर पर सड़क पर यात्री वाहनों की संख्या 2022 के स्तर से 24 प्रतिशत बढ़कर 2040 तक 1.6 अरब तक हो सकती है।

(लेखिका न्यूयॉर्क में ब्लूमबर्ग एनईएफ की वैश्विक नीति की वरिष्ठ संपादक हैं)

 

First Published - September 12, 2023 | 11:24 PM IST

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