राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण (NCLT) ने कंपनी मामलों के मंत्रालय (एमसीए) से ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता के तहत विमान एवं विमान इंजन संबंधी सभी लेनदेन के लिए दी गई मोहलत से छूट पर राय मांगी है। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी।
एनसीएलटी ने 3 अक्टूबर, 2023 की एमसीए संबंधी अधिसूचना का हवाला देते हुए विमानन कंपनी गो फर्स्ट दिवालिया मामले में एक पट्टादाता द्वारा अपनी संपत्ति वापस लेने के लिए दायर की गई याचिका के संबंध में एमसीए के विचार मांगे हैं।
हालांकि, अधिसूचना में यह नहीं कहा गया है कि यह पूर्वव्यापी प्रकृति का है। नागर विमानन महानिदेशालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय में गो फर्स्ट के पट्टादाता द्वारा दायर याचिका के जवाब में कहा था कि एमसीए की अधिसूचना पुरानी है।
नागर विमानन मंत्रालय की एमसीए अधिसूचना पर विचार उन विमानन कंपनियों के लिए एक निवारक हो सकती है जो दिवालिया हो जाती हैं लेकिन पट्टेदार व्यवसाय को बढ़ावा देती हैं।
सूत्रों के अनुसार, एमसीए इस मसले पर नागर विमानन महानिदेशालय के साथ चर्चा कर रहा है। सूत्रों ने बताया कि एमसीए एनसीएलटी को यह बता सकता है कि मामला विचाराधीन है और वह इस वक्त अपनी अधिसूचना की संभावित स्थिति को स्पष्ट करने की स्थिति में नहीं है।
एमसीए की अधिसूचना केप टाउन कन्वेंशन विधेयक के अनुरूप है, जिसे नागर विमानन मंत्रालय ने पहली बार साल 2018 में पेश किया था। विधेयक में पट्टादाताओं को आश्वस्त किया गया है कि विमानन कंपनी के दिवालिया होने पर विमान जैसी उनकी संपत्ति नहीं फंसेगी, जैसा गो-फर्स्ट के मामले में हुआ है।
जून 2023 में आईबीसी के तहत दी गई मोहलत पर छूट को दिवालिया कार्यवाही से गुजरने वाली कंपनी द्वारा पट्टे पर दी गई पेट्रोलियम संपत्तियों तक भी बढ़ा दिया गया था। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि पेट्रोलियम क्षेत्र में राष्ट्रीय संपत्ति बेकार न रहे।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, एमसीए को भी आईबीसी के तहत स्पेक्ट्रम को मोहलत से छूट देने के लिए दूरसंचार मंत्रालय से इसी तरह का अनुरोध मिला है।