गैर बैंकिंग कंपनियों की तरह काम कर रहे सूक्ष्म वित्त संस्थानों (एनबीएफसी-एमएफआई) ने अप्रैल-जून 2023 (वित्त वर्ष 24 की पहली तिमाही) में सालाना आधार पर 45.8 प्रतिशत दर्ज कर 30,398 करोड़ रुपये कर्ज बांटा।
हालांकि एनबीएफसी-एमएफआई ने अप्रैल-जून 2022 (वित्त वर्ष 23 की पहली तिमाही) में 20,845 करोड़ रुपये कर्ज बांटा था। यह जानकारी सूक्ष्म वित्त संस्थान (एमएफआईएन) के आंकड़ों में दी गई है।
रिजर्व बैंक के विनियमन मानदंडों की पुनर्समीक्षा के कारण अप्रैल-जून 2022 की अवधि में कर्ज बांटने की रफ्तार सुस्त हो गई थी और इसके अगले वर्ष में उधारी देने की गतिविधियों में तेजी से उछाल आया। आरबीआई के बदले हुए मानदंडों ने बैंकों की तरह ही एनबीएफसी-एमएफआई को समान अवसर मुहैया करवाए।
वैसे सूक्ष्म ऋण वितरण में बैंकों की मजबूत स्थिति है। हालांकि जनवरी – मार्च 2023 (वित्त वर्ष 23 की चौथी तिमाही) में 41,490 करोड़ रुपये का कर्ज बांटा गया था। इसलिए चौथी तिमाही की तुलना में वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कम ही कर्ज बांटा गया।
वित्त वर्ष 24 की पहली तिमाही में 68.9 लाख खातों में कर्ज बांटा गया जबकि बीते साल 51 लाख खातों में कर्ज बांटा गया। अगर इस संदर्भ में वित्त वर्ष 23 की चौथी तिमाही के आंकड़े को देखा जाए तो 95 लाख खातों में ऋण वितरण किया गया था। लिहाजा वित्त वर्ष 23 की चौथी तिमाही की तुलना में वित्त वर्ष24 की पहली तिमाही में कम खातों में कर्ज बांटा गया।
एमएफआईएन ने बताया कि वित्त वर्ष 24 की पहली तिमाही में पिछले वर्ष की इस तिमाही की तुलना में 8.3 प्रतिशत अधिक ऋण बांटा गया और यह प्रति खाता 44,114 रुपये रहा। जून, 2023 में प्रबंधन के तहत परिसंपत्तियां (एयूएम) बढ़कर 1,26,053 करोड़ रुपये हो गई जबकि यह एक साल पहले 89,005 करोड़ रुपये थी और मार्च 2023 की समाप्ति पर 1,21,326 करोड़ रुपये थी।
कारोबार में इजाफा होने के कारण सूक्ष्म ऋणदाताओं ने बीते 12 महीने में 2500 शाखाओं को और जोड़ा। इससे जून 2023 के अंत में उनकी शाखाओं की कुल संख्या 17,706 हो गई थी। हालांकि एक साल पहले उनकी शाखाओं की संख्या 15,202 थी।