राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (Nabard) को बेसल-3 मानदंड लागू होने पर अप्रैल 2024 से अपनी बैलेंस शीट को दोगुना करने की गुंजाइश मिल सकेगी। मार्च 2023 को समाप्त वित्त वर्ष में नाबार्ड की बैलेंस शीट 8 लाख करोड़ रुपये थी।
नाबार्ड के चेयरमैन शाजी केवी (Nabard Chairman) ने कहा कि संस्थान में अब पर्याप्त रूप से पूंजी आ चुकी है और बेसल ढांचे के तहत पूंजी पर्याप्तता अनुपात 20 प्रतिशत से अधिक होगा।
उन्होंने कहा कि वृद्धि पूंजी पर्याप्त थी। अगल लीवरेज अनुपात देखें तो संस्थान आगे बढ़ने के लिए उच्च स्तर पर मौजूदा फंड का इस्तेमाल कर सकता है। पहले कोई लीवरेज अनुपात निर्धारित नहीं था। बेसल के तहत विशिष्ट (4 गुना) प्रावधान होंगे, जिससे नाबार्ड के आगे बढ़ने की राह प्रशस्त होगी।
उन्होंने कहा कि संस्थान आगे बढ़ना चाहता है, लेकिन वह मांग से परे ऐसा नहीं कर सकता। वित्त वर्ष 2022-23 की वित्तीय रिपोर्ट के मुताबिक नाबार्ड की बैलेंस शीट का आकार पिछले 5 साल के दौरान 4.1 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 8 लाख करोड़ रुपये हो गया है।
नाबार्ड का कुल मिलाकर कारोबार बढ़ा है, वहीं पूंजी और भंडार में 52.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसका वित्तपोषण का काम मुख्य रूप से कर्जदाताओं को धन देने, ग्रामीण इलाकों में बुनियादी ढांचे के सृजन व सिंचाई आदि पर केंद्रित रहा है।
पुनर्वित्तपोषण में मार्च 2023 को समाप्त वित्त वर्ष में एक साल पहले के 3.91 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 8.6 प्रतिशत वृद्धि हुई और यह 4.24 लाख करोड़ रुपये हो गया है।