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ओपन मार्केट ऑपरेशन से तरलता बढ़ाने के उपाय, बॉन्ड यील्ड में आई तेजी

केंद्रीय बैंक ने ओएमओ बिक्री के लिए कोई समय-सीमा तय नहीं की है और यह मौजूदा तरलता हालात पर निर्भर करेगा।

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अंजलि कुमारी   
Last Updated- October 06, 2023 | 10:14 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर श​क्तिकांत दास ने कहा है कि केंद्रीय बैंक तरलता बढ़ाने के लिए ओपन मार्केट ऑपरेशन (OMO) संचालित कर सकता है। इस बयान के बाद सरकारी बॉन्ड प्रतिफल में तेजी दर्ज की गई। बॉन्ड प्रतिफल शुक्रवार को 7 महीने की ऊंचाई पर पहुंच गया।

केंद्रीय बैंक ने ओएमओ बिक्री के लिए कोई समय-सीमा तय नहीं की है और यह मौजूदा तरलता हालात पर निर्भर करेगा। बाजार कारोबारियों का कहना है कि ओएमओ नीलामियों के समय और मात्रा से जुड़ी अनि​​श्चितता से कारोबारियों में बेचैनी बढ़ गई है।

पीएनबी जिल्ट्स के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्या​धिकारी विकास गोयल ने कहा, ‘सामान्य तौर पर, ओएमओ का इस्तेमाल तरलता प्रबंधन विकल्प के तौर पर नहीं किया जाता है। इसका इस्तेमाल सामान्य तौर पर प्रतिफल नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।’

10 वर्षीय सरकारी बॉन्ड पर प्रतिफल शुक्रवार को 12 आधार अंक तक बढ़कर 7.34 प्रतिशत पर बंद हुआ जो गुरुवार को 7.22 प्रतिशत पर था।

अग्रिम कर निकासी और जीएसटी भुगतान की वजह से 15 सितंबर से बैंकिंग व्यवस्था में तरलता पर दबाव बना हुआ है। आरबीआई द्वारा मुहैया कराए गए आंकड़े से पता चला है कि केंद्रीय बैंक ने शुक्रवार को व्यवस्था में 34,061 करोड़ रुपये डाले।

एक निजी बैंक के ट्रेजरी प्रमुख ने कहा, ‘बाजार ने संभवत: यह मान लिया है कि यदि वे लंबी अव​धि के पत्र लेकर आते हैं तो इससे बाजारों पर दबाव पड़ेगा।’ मौद्रिक नीतिगत बयान में आरबीआई गवर्नर दास ने 4 प्रतिशत मुद्रास्फीति लक्ष्य हासिल करने की केंद्रीय बैंक की प्रतिबद्धता को दोहराया।

आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज प्राइमरी डीलर​शिप के उपाध्यक्ष नवीन सिंह ने कहा, ‘ओएमओ बिक्री एक टिकाऊ तरलता निकासी है। अभी भी उनका मुद्रास्फीति अनुमान 4 फीसदी आसान नहीं लग रहा है। यदि लक्ष्य 4 प्रतिशत है जो इसका मतलब यह है कि उन्हें लंबी अव​धि के लिए नीतिगत सख्ती की जरूरत होगी।’ इस सख्ती से इसे लेकर अटकल बढ़ी है कि केंद्रीय बैंक ब्याज दर वृद्धि पर जोर नहीं दिया है।

बोफा सिक्योरिटीज इंडिया में अर्थशास्त्री आस्था गुडवानी ने कहा, ‘स​ब्जियों की कीमतों में ताजा कीमत वृद्धि से सीपीआई मुद्रास्फीति को घटाकर 4 प्रतिशत पर लाने के प्रयास में विलंब हुआ है।’

मौद्रिक नीति समिति ने लगातार चौथी नीतिगत समीक्षा में रीपो दर 6.50 प्रतिशत पर अपरिवर्तित बनाए रखने का निर्णय लिया है। आरबीआई ने उदार मौद्रिक रुख को वापस लेने का भी निर्णय लिया है।

First Published : October 6, 2023 | 10:14 PM IST