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अमेरिकी बॉन्ड से फीका हुआ भारतीय बॉन्ड: Julius Baer India

जूलियस बेयर इंडिया के सीईओ उमंग पपनेजा ने कहा कि देश की मजबूत आर्थिक वृद्धि वेल्थ मैनेजरों की मांग के लिए मजबूत आधार बनाती है।

Last Updated- November 22, 2023 | 9:46 PM IST

देश की सबसे बड़ी विदेशी प्राइवेट वेल्थ मैनेजर जूलियस बेयर साल 2015 में मेरिल लिंच के भारतीय परिसंपत्ति प्रबंधन कारोबार के अधिग्रहण के बाद से 21 अरब डॉलर से ज्यादा की परिसंपत्तियों का प्रबंधन कर रही है। इस स्विस फर्म ने देश की सबसे बड़ी परिसंपत्ति प्रबंधक बनने का लक्ष्य तय किया है।

जूलियस बेयर इंडिया के सीईओ उमंग पपनेजा ने कहा कि देश की मजबूत आर्थिक वृद्धि वेल्थ मैनेजरों की मांग के लिए मजबूत आधार बनाती है। समी मोडक को ईमेल के जरिये दिए साक्षात्कार में पपनेजा ने कहा कि अल्पावधि का उतार-चढ़ाव भारतीय इक्विटी में निवेश का मौका देगा। मुख्य अंश…

-आपके लिए भारत का बाजार कितना अहम है?

वैश्विक स्तर पर भारत सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और साल 2030 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का अनुमान है। ऐसी तेज वृद्धि से भारत में हर दिन तीन व्यक्ति अल्ट्रा-हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल (यूएचएनआई) क्लब (3 करोड़ डॉलर से ज्यादा) में शामिल हो रहे हैं।

इस प्रगति को ध्यान में रखते हुए जूलियस बेयर ने भारत में खासा विस्तार किया है और अभी सात शहरों में परिचालन कर रही है, जिसे अगले कुछ वर्षों में बढ़ाकर 10 शहर करने की योजना है। हमारे पास अभी करीब 70 रिलेशनशिप मैनेजर हैं, जिन्हें क्लाइंटों की जरूरतों की गहरी समझ है। जूलियस बेयर भारत ममें सबसे बड़ी विदेशी परिसंपत्ति प्रबंधक है और हमारा लक्ष्य भारत में सबसे बड़ी परिसंपत्ति प्रबंधक बनने का है।

-भारत से बाहर परिचालन करने वाले निजी परिसंपत्ति प्रबंधकों के लिए बढ़त के कौन से कारक हैं?

भारत में निजी परिसंपत्ति प्रबंधकों को अभी देश की मजबूत आर्थिक वृद्धि, बढ़ती वित्तीय जागरूकता और निवेश के विकसित हो रहे ट्रेंड का लाभ मिल रहा है। 2009-10 में निवेश रियल एस्टेट के इर्द-गिर्द्र केंद्रित था, वहीं हमारे क्लाइंट अब ऑल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड (एआईएफ) को पसंद कर रहे हैं, जिसमें 2012 में इसके उद्भव से ही अच्छी खासी वृद्धि नजर आई है। हालिया ट्रेंड ईएसजी (एनवायरनमेंट, सोशल ऐंड गवर्नेंस) में निवेश को लेकर दिलचस्पी को रेखांकित करता है।

-अगले एक साल में इक्विटी व डेट मार्केट को लेकर क्या परिदृश्य है? आपका पसंदीदा कोई अन्य परिसंपत्ति वर्ग?

भारतीय इक्विटी बाजार सुदृढ़ रहे हैं, जिसे मजबूत आर्थिक कारकों मसलन ठोस सरकारी बैलेंस शीट और कंपनियों व आम घरों की बेहतर बैलेंस शीट से सहारा मिला है। लंबी अवधि में बेहतर वृद्धि का परिदृश्य बरकरार है, अल्पावधि में उतारचढ़ाव उभरती वैश्विक चुनौतियों से उभर सकता है, जो भारतीय इक्विटी में निवेश का मौका देता है। जब हमारे क्लाइंटों के लिए सही योजनाओं के मिश्रण की बात आती है तो हम विशाखित पोर्टफोलियो का सुझाव देते हैं।

-रियल एस्टेट क्षेत्र कैसा नजर आ रहा है?

भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र में अच्छी खासी क्षमता है क्योंकि प्राइवेट इक्विटी इन्वेस्टमेंट धीरे-धीरे बढ़ रहा है। अनुमान बताते हैं कि ये निवेश साल 2047 तक 54.3 अरब डॉलर पर पहुंच सकते हैं, जो 9.5 फीसदी सालाना रफ्तार से बढ़ रहा है। रीट्स और रियल एस्टेट एआईएफ ने रियल एस्टेट बाजार के आशावादी रुख में योगदान किया है।

-अमेरिका का उच्च बॉन्ड प्रतिफल कैसे भारतीय इक्विटी पर कितना असर डाल रहा है?

कुछ हद तक मजबूत अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल ने भारतीय इक्विटी के आकर्षण को लेकर विदेशी निवेशकों पर नकारात्मक असर डाला है। हालांकि इक्विटी पर कुल मिलाकर असर आर्थिक कारकों, निवेश के मकसद और अन्य परिसंपत्तियों के सापेक्ष इक्विटी को कैसे देखा जा रहा है, इस पर निर्भर करता है।

ऐसे में मजबूत आर्थिक वृद्धि के कारक और पूंजी में बढ़त की क्षमता व लाभांश बढ़ते अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल के असर की भरपाई कर सकते हैं और कुछ निश्चित परिस्थितियों में शेयरों को निवेश का आकर्षक विकल्प बना सकते हैं।

First Published - November 22, 2023 | 9:37 PM IST

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