संकट में फंसी एडटेक फर्म बैजूस का राष्ट्रीय कंपनी कानून पंचाट (NCLT) में प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों ने आज इस बात का आश्वासन दिया कि कंपनी अच्छी हालत में है और वह काफी अच्छे ढंग से काम कर रही है।
बैजूस ने यह प्रतिक्रिया तब दी, जब एनसीएलटी ने कंपनी के खिलाफ भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCO) द्वारा दायर दिवाला याचिका की सुनवाई के दौरान कंपनी की मौजूदा हालत के बारे में पूछा।
कंपनी के वकीलों में से एक ने एनसीएलटी को बताया कि कंपनी के संबंध में मीडिया में कई नकारात्मक बातें हैं, जिससे ऐसा लगता है कि कंपनी अच्छा काम नहीं कर रही है।
बेंगलूरु में एनसीएलटी ने इस विवाद को ‘हाई-प्रोफाइल’ मामले के रूप में वर्गीकृत किया और कहा कि इसकी सुनवाई जल्द से जल्द की जानी चाहिए। मामले की सुनवाई 17 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी गई है। बैजूस ने बीसीसीआई की याचिका पर व्यापक जवाब देने के लिए अतिरिक्त समय का अनुरोध किया है।
बीसीसीआई ने कंपनी की वित्तीय स्थिति पर बैजूस के आशावादी दृष्टिकोण को भी खारिज कर दिया है। बीसीसीआई ने 8 सितंबर को मामला दायर किया था। इस पर 28 नवंबर को सुनवाई हुई। कंपनी को दो सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया था। इसके बाद मामले की अगली सुनवाई 22 दिसंबर के लिए तय कर दी गई थी।
बीसीसीआई का दावा, बैजूस ने नहीं किया 158 करोड़ रुपये का भुगतान
बीसीसीआई ने दावा किया है कि बैजूस ने 158 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया है। उसने एडटेक कंपनी के खिलाफ कॉरपोरेट दिवाला कार्यवाही शुरू करने के लिए बेंगलूरु में एनसीएलटी का दरवाजा खटखटाया था। यह याचिका ऋणशोधन अक्षमता और दिवाला संहिता 2016 की धारा 9 के तहत दायर की गई थी।
28 नवंबर को दिए गए आदेश में कहा गया है कि बैजूस को ईमेल के जरिये 6 जनवरी 2023 को सामान्य नोटिस जारी किया गया था और टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) हटाकर भुगतान में चुक की राशि 158 करोड़ रुपये थी।
यह नया मसला बैजूस की उस घोषणा के कुछ महीने बाद सामने आया है, जिसमें उसने कहा था कि वह भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी का प्रायोजन खत्म करने की योजना बना रही है, क्योंकि वह लाभ पर ध्यान दे रही है।
नकदी संकट से जूझ रही कंपनी परिचालन दक्षता बढ़ाने, घाटा कम करने और लाभ हासिल करने के लिए नेतृत्व करने वाली अपनी टीम के रणनीतिक पुनर्गठन और पुनर्संरचना के दौर से गुजर रही है।
सूत्रों के अनुसार बैजूस ने पुनर्गठन प्रक्रिया के तहत अगले कुछ सप्ताह के दौराब करीब 4,000 कर्मचारियों या अपने कुल कार्यबल के 11 प्रतिशत से अधिक को नौकरी से निकालने का फैसला किया है।
पुनर्गठन की यह कवायद अर्जुन मोहन द्वारा की जा रही है, जिन्हें हाल ही में इसके भारतीय कारोबार के मुख्य कार्याधिकारी के रूप में पदोन्नत किया गया था।