सरकार के 10 साल के बेंचमार्क बॉन्ड पर प्रतिफल कम हुआ है। डीलरों के मुताबिक अमेरिका ट्रेजरी प्रतिफल में गिरावट का असर सरकार के बॉन्ड पर हुआ है। हालांकि बुधवार को अमेरिका की महंगाई के आंकड़े जारी होने से पहले सावधानी बरतने के कारण लाभ सीमित था। साल 2033 में परिपक्व होने वाले बेंचमार्क बॉन्ड (7.26 फीसदी) का प्रतिफल 7.09 फीसदी रहा जबकि यह सोमवार को 7.13 फीसदी रहा था।
सरकारी बैंक के एक डीलर ने कहा कि अभी बाजार वैश्विक संकेतों पर नजर रख रहा है और अमेरिका का प्रतिफल नरम हो गया है। अब अमेरिका के कल जारी होने वाले आंकड़ों से प्रतिफल की चाल तय होगी।
बाजार बंद होने के अंतिम अवधि के दौरान अमेरिका के फेडरल रिजर्व के सदस्य का बयान आने का असर पड़ा। इस सदस्य ने आशंका जताई थी कि अमेरिका में ब्याज दर तय करने वाली समिति कड़ी मौद्रिक नीति अंतिम दौर में है। इससे अमेरिका के 10 साल के ट्रेजरी पर मंगलवार को गिरावट आई और यह 7 आधार अंक गिरकर 3.97 फीसदी पर आ गई।
सेन फ्रांसिस्को फेडरल रिजर्व की अध्यक्ष मैरी डेली ने सोमवार को आशंका जताई थी कि महंगाई से निपटने के लिए इस साल में दो बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी हो सकती है।
उन्होंने ब्रूकलिंग इंस्टीच्यूट में आयोजित कार्यक्रम के दौरान कहा था कि उनके इस अनुमान में आर्थिक आंकड़ों के आधार पर उतार-चढ़ाव आ सकता है। उन्होंने यह भी आशंका जताई थी कि दरों में वृद्धि की संख्या में अंतर हो सकता है – यह कम भी हो सकती है और ज्यादा भी। डीलरों के मुताबिक कुछ कारोबारियों ने शार्ट पोलीशन कवरी की जिससे बॉन्ड को मदद मिली।
सात राज्यों ने बॉन्ड से जुटाए 10,400 करोड़
सात राज्यों ने अपनी प्रतिभूतियों की नीलामी करके मंगलवार को 10,400 करोड़ रुपये जुटाए। हालांकि बीते सप्ताह नौ राज्यों ने 16,200 करोड़ रुपये जुटाए थे।
इस सप्ताह राज्य विकास ऋण (एसडीएल) की निर्धारित नीलामी से 10,400 करोड़ रुपये जुटाए गए। हालांकि उधारी कैलेंडर के मुताबिक अधिसूचित राशि 11,400 करोड़ रुपये था। डीलरों के मुताबिक दीर्घकालिक निवेशकों ने उच्च प्रतिफल के कारण सरकारी बॉन्ड के बजाये राज्य बॉन्ड के विकल्प को चुना है।
सरकारी बैंक के एक डीलर ने कहा, ‘चुनिंदा निवेशकों की मांग दीर्घकालिक अवधि की है। वे मूल्य पर नहीं बल्कि राशि की अधिकता पर ध्यान केंद्रित करते हैं। ऐसा द्वितीयक बाजार में कभी कभार ही होता है। इनकी बाजार की उम्मीद की तुलना में आमतौर पर 2-3 आधार अंक कम प्रतिफल पर नीलामी होती है।’ तमिलनाडु ने सर्वाधिक 3,000 करोड़ रुपये जुटाए हैं।