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G-20 Summit : नए कॉरिडोर से रेल, इन्फ्रा फर्मों को मदद

चूंकि नए गलियारे को चीन की बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव से मुकाबले के तौर पर देखा जा रहा है, इसलिए भारत को परियोजना का बड़ा हिस्सा क्रियान्वयन के लिए मिल सकता है।

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ध्रुवाक्ष साहा   
शाइन जेकब   
Last Updated- September 12, 2023 | 10:58 PM IST

विश्लेषकों का मानना है कि नई दिल्ली में हाल में हुए जी-20 सम्मेलन में इंडिया-मिडिल यूरोप इकनॉमिक कॉरिडोर (आईएमईसी) की घोषणा से इरकॉन इंटरनैशनल, रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल), लार्सन ऐंड टुब्रो (एलऐंडटी), टाटा प्रोजेक्ट्स और जीएमआर जैसी रेलवे और बंदरगाह इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनियों को फायदा होने की संभावना है।

उनका कहना है कि भारत के पश्चिमी तट पर जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (नवी मुंबई) और दीनदयाल पोर्ट अथॉरिटी (कांडला) जैसे बंदरगाहों और अदाणी समूह के स्वामित्व वाले मूंदड़ा पोर्ट और एपीएम टर्मिनल्स के स्वामित्व वाले पीपावाव पोर्ट को भी इस कॉरिडोर से व्यापक लाभ मिलने की संभावना है।

प्रस्तावित कॉरिडोर भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि वह अपने ज्यादातर कच्चे तेल आयात के लिए पश्चिम एशिया पर निर्भर बना हुआ है।

आईएमईसी में भारत को खाड़ी क्षेत्र से जोड़ने वाला पूर्वी कॉरिडोर और खाड़ी क्षेत्र को यूरोप से जोड़ने वाला उत्तरी कॉरिडोर शामिल होगा। इसमें रेलवे और शिप-रेल ट्रांजिट नेटवर्क तथा भारत, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, इजराइल और यूरोप को जोड़ने वाले सड़क परिवहन मार्ग शामिल होंगे।

इस कदम से सोमवार को एनएसई पर इरकॉन इंटरनैशनल (20 प्रतिशत तक), आरवीएनएल (17 प्रतिशत) और आईआरएफसी (10 प्रतिशत तक) जैसे शेयरों में शानदार तेजी दर्ज की गई। हालांकि मंगलवार को इन शेयरों में बड़ी बिकवाली दर्ज की गई।

विश्लेषकों का कहना है कि रेल निर्माता जिंदल स्टील ऐंड पावर (जेएसपीएल) और भारतीय इस्पात प्राधिकरण (सेल) जैसे आपूर्तिकर्ताओं को भी लाभ मिल सकता है, यदि भारतीय कंपनियों को खरीदारी में प्राथमिकता दी जाए।

हालांकि भारत के साथ अभी रेल लाइनों के निर्माण के संबंध में कोई औपचारिक सौदे नहीं हुए हैं, लेकिन विश्लेषकों ने संकेत दिए हैं कि भारतीय कंपनियां डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर्स (डीएफसी) जैसी बड़ी रेल इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के प्रबंधन में दक्षता के साथ लाभ उठाने की स्थिति में हैं। भारत ने डीएफसी, हाई-स्पीड रेल और दिल्ली मेट्रो जैसी बड़ी परियोजनाओं के लिए अपनी एजेंसी जेआईसीए के जरिये जापान के साथ भी भागीदारी की है।

चूंकि नए गलियारे को चीन की बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव से मुकाबले के तौर पर देखा जा रहा है, इसलिए भारत को परियोजना का बड़ा हिस्सा क्रियान्वयन के लिए मिल सकता है।

इरकॉन के पूर्व चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक एस के चौधरी ने कहा, ‘पारंपरिक तौर पर, पश्चिम एशिया में रेलवे इन्फ्रास्ट्रक्चर सौदे चीनी कंपनियों के खाते में जाते रहे हैं। हालांकि हमें इराक और सऊदी अरब जैसे देशों में अतीत में कुछ बड़ी परियोजनाएं मिली हैं। यदि हमें इन परियोजनाओं का बड़ा हिस्सा मिलता है तो यह इरकॉन और आरवीएनएल जैसी कंपनियों के लिए फायदेमंद होगा। इसके अलावा, एलऐंडटी, टाटा प्रोजेक्ट्स और जीएमआर जैसी निजी क्षेत्र की कंपनियां भी लाभान्वित हो सकती हैं।’

मौजूदा समय में, इरकॉन बांग्लादेश, अल्जीरिया, श्रीलंका, नेपाल और म्यांमार जैसे देशों में परियोजनाएं चला रही है। वित्त वर्ष 2022-23 में, इरकॉन के कुल राजस्व में अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं का योगदान बढ़कर 411.84 करोड़ रुपये हो गया, जो उसके परिचालन कारोबार का करीब 4.15 प्रतिशत है।

चौधरी ने कहा, ‘रेल परियोजनाओं का आकार स्पष्ट नहीं है। उदाहरण के लिए, कुछ देश पहले से ही रेल लाइन से जुड़े हुए हैं और मुख्य उद्देश्य रेल पटरियों की जरूरत पूरी करना और कामकाजी बंदरगाहों के साथ उन्हें जोड़ना है।’

First Published : September 12, 2023 | 10:58 PM IST