वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने बुधवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) को भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए अच्छी तरह से पूंजी-संपन्न बनाए रखने की जरूरत है और यह सदस्य देशों की जरूरतों के अनुरूप हो।
उन्होंने वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए आम सहमति और समन्वय पर आधारित बहुपक्षीय पहलों के महत्त्व पर भी प्रकाश डाला। सीतारमण ने आईएमएफ की नीतिगत प्राथमिकताओं एवं इसकी सदस्यता विषय पर आयोजित गोलमेज चर्चा में शिरकत करते हुए यह बातें कहीं।
इस गोलमेज बैठक की मेजबानी मोरक्को के मराकेश में विश्व बैंक-आईएमएफ की वार्षिक बैठक के मौके पर अमेरिकी वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने की थी। इस मौके पर वित्त मंत्री सीतारमण ने ऋण का पुनर्गठन करने में आईएमएफ की भूमिका पर भी प्रकाश डाला।
वित्त मंत्रालय ने एक बयान में इस बैठक का ब्योरा देते हुए कहा कि वित्त मंत्री ने आईएमएफ के उद्देश्य और कर्ज नीतियों के अलावा इसे सशक्त, कोटा-आधारित और समुचित संसाधन वाला संगठन बनाने की बात कही।
उन्होंने गरीबी ह्रास एवं विकास ट्रस्ट (पीआरजीटी) के वित्तपोषण और आईएमएफ के कामकाजी सुधारों के बारे में भी चर्चा की। सीतारमण ने वैश्विक चुनौतियों के लिए समन्वित और सर्वसम्मति पर आधारित समाधान की दिशा में आगे बढ़ने के लिए बहुपक्षवाद के महत्व पर भी प्रकाश डाला।
इस क्रम में उन्होंने भारत की अध्यक्षता में जी20 समूह की प्राथमिकताओं का भी जिक्र किया। वित्त मंत्री ने कहा कि सदस्यता की बढ़ती जरूरतों को ध्यान में रखते हुए मुद्राकोष का खास ध्यान वृहद-आर्थिक निगरानी और नीतिगत मार्गदर्शन पर होना चाहिए।
ऋण पुनर्गठन प्रक्रिया के गतिरोधों को दूर करने और कर्ज संबंधी मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने में आईएमएफ की भूमिका अहम है। सीतारमण ने आईएमएफ को वैश्विक वित्तीय सुरक्षा नेटवर्क के केंद्र में बने रहने के लिए कोटा-आधारित संसाधनों के माध्यम से अच्छी तरह से पूंजीकृत रहने की अहमियत पर भी जोर दिया।
उन्होंने आईएमएफ के कार्यकारी बोर्ड में लैंगिग और कामकाज संबंधी सुधारों को भारत का समर्थन देते हुए कहा कि भारत ने हाल ही में महिलाओं को संसद और विधानसभाओं में 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का कानून पारित किया है।
सीतारमण ने अंतर-अमेरिकी विकास बैंक (आईडीबी) के अध्यक्ष इलान गोल्डफैजन से भी मुलाकात की। इस दौरान दोनों के बीच मौजूदा विकास चुनौतियों एवं अवसरों पर चर्चा हुई।