पिछले साल के दौरान देश के कई कारोबारी समूहों ने इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) की बैटरी निर्माण की इकाई स्थापित करने की योजनाओं का एलान किया है। इनमें से कुछ तो बड़े स्तर की हैं। हालांकि उद्योग के अधिकारियों को लगता है कि ये योजनाएं काफी हद तक मौजूदा आयात-आधारित आपूर्ति श्रृंखलाओं पर निर्भर रहेंगी।
टाटा, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) और जेएसडब्ल्यू जैसे बड़े समूह ने लीथियम-आयन पर आधारित तकनीक का उपयोग करते हुए देश में बैटरी विनिर्माण इकाइयां स्थापित करने में रुचि दिखाई है। हालांकि लीथियम हासिल करने के संबंध में काफी कम जानकारी साझा की गई है। टाटा, आरआईएल और जेएसडब्ल्यू को लीथियम के स्रोत के संबंध विवरण के लिए ईमेल पर भेजे गए सवालों का जवाब नहीं मिला।
उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि भारतीय विनिर्माताओं के लिए मौजूदा आपूर्ति श्रृंखला की संभावनाएं काफी हद तक आयात पर निर्भर हैं, खास तौर पर चीन से और जल्द ही बहुत कुछ बदलने की उम्मीद नहीं है।
बैटरी विनिर्माण श्रेणी में विकल्प तलाश करने वाली ऐसी ही एक कंपनी के अधिकारी ने कहा कि भारतीय कंपनियां आरऐंडडी (अनुसंधान और विकास) में भारी निवेश नहीं करती हैं। सबसे अधिक अपनाया जाने वाला मॉडल यह रहेगा कि उस समय बाजार में उपलब्ध सबसे अधिक व्यावहारिक प्रौद्योगिकी के साथ गठजोड़ किया जाए और वह प्रौद्योगिकी साझेदार आर्थिक व्यावहारिकता के आधार पर आपूर्ति श्रृंखला तय करेगा। अधिकारी ने इस बात पर सहमति जताइ्र की कि इनमें से कई आपूर्ति श्रृंखलाओं की चीन में मौजूदगी है।
भारत में बैटरी विनिर्माण की संभावना तलाश रहे उद्योग के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि हालांकि कुछ लोगों ने कारखानों पर काम शुरू कर दिया है, लेकिन गठजोड़ के जरिये आपूर्ति श्रृंखला का निर्माण लंबित है।