facebookmetapixel
सीतारमण बोलीं- GST दर कटौती से खपत बढ़ेगी, निवेश आएगा और नई नौकरियां आएंगीबालाजी वेफर्स में 10% हिस्सा बेचेंगे प्रवर्तक, डील की वैल्यूएशन 40,000 करोड़ रुपये तकसेमीकंडक्टर में छलांग: भारत ने 7 नैनोमीटर चिप निर्माण का खाका किया तैयार, टाटा फैब बनेगा बड़ा आधारअमेरिकी टैरिफ से झटका खाने के बाद ब्रिटेन, यूरोपीय संघ पर नजर टिकाए कोलकाता का चमड़ा उद्योगबिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ इंटरव्यू में बोलीं सीतारमण: GST सुधार से हर उपभोक्ता को लाभ, मांग में आएगा बड़ा उछालGST कटौती से व्यापारिक चुनौतियों से आंशिक राहत: महेश नंदूरकरभारतीय IT कंपनियों पर संकट: अमेरिकी दक्षिणपंथियों ने उठाई आउटसोर्सिंग रोकने की मांग, ट्रंप से कार्रवाई की अपीलBRICS Summit 2025: मोदी की जगह जयशंकर लेंगे भाग, अमेरिका-रूस के बीच संतुलन साधने की कोशिश में भारतTobacco Stocks: 40% GST से ज्यादा टैक्स की संभावना से उम्मीदें धुआं, निवेशक सतर्क रहेंसाल 2025 में सुस्त रही QIPs की रफ्तार, कंपनियों ने जुटाए आधे से भी कम फंड

देश में EV बैटरी की निर्माण योजना चीन के आयात पर निर्भर

उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि भारतीय विनिर्माताओं के लिए मौजूदा आपूर्ति श्रृंखला की संभावनाएं काफी हद तक आयात पर निर्भर हैं।

Last Updated- October 03, 2023 | 10:28 PM IST
2025 तक डिमांड से पांच गुना ज्यादा होगा प्रोडक्शन, मगर बैटरी बनाने वाली कंपनियों को सता रही इस बात की चिंता…, By 2025, production will be five times more than demand, but battery manufacturing companies are worried about this

पिछले साल के दौरान देश के कई कारोबारी समूहों ने इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) की बैटरी निर्माण की इकाई स्थापित करने की योजनाओं का एलान किया है। इनमें से कुछ तो बड़े स्तर की हैं। हालांकि उद्योग के अधिकारियों को लगता है कि ये योजनाएं काफी हद तक मौजूदा आयात-आधारित आपूर्ति श्रृंखलाओं पर निर्भर रहेंगी।

टाटा, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) और जेएसडब्ल्यू जैसे बड़े समूह ने लीथियम-आयन पर आधारित तकनीक का उपयोग करते हुए देश में बैटरी विनिर्माण इकाइयां स्थापित करने में रुचि दिखाई है। हालांकि लीथियम हासिल करने के संबंध में काफी कम जानकारी साझा की गई है। टाटा, आरआईएल और जेएसडब्ल्यू को लीथियम के स्रोत के संबंध विवरण के लिए ईमेल पर भेजे गए सवालों का जवाब नहीं मिला।

उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि भारतीय विनिर्माताओं के लिए मौजूदा आपूर्ति श्रृंखला की संभावनाएं काफी हद तक आयात पर निर्भर हैं, खास तौर पर चीन से और जल्द ही बहुत कुछ बदलने की उम्मीद नहीं है।

बैटरी विनिर्माण श्रेणी में विकल्प तलाश करने वाली ऐसी ही एक कंपनी के अधिकारी ने कहा कि भारतीय कंपनियां आरऐंडडी (अनुसंधान और विकास) में भारी निवेश नहीं करती हैं। सबसे अधिक अपनाया जाने वाला मॉडल यह रहेगा कि उस समय बाजार में उपलब्ध सबसे अधिक व्यावहारिक प्रौद्योगिकी के साथ गठजोड़ किया जाए और वह प्रौद्योगिकी साझेदार आर्थिक व्यावहारिकता के आधार पर आपूर्ति श्रृंखला तय करेगा। अधिकारी ने इस बात पर सहमति जताइ्र की कि इनमें से कई आपूर्ति श्रृंखलाओं की चीन में मौजूदगी है।

भारत में बैटरी विनिर्माण की संभावना तलाश रहे उद्योग के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि हालांकि कुछ लोगों ने कारखानों पर काम शुरू कर दिया है, लेकिन गठजोड़ के जरिये आपूर्ति श्रृंखला का निर्माण लंबित है।

First Published - October 3, 2023 | 10:26 PM IST

संबंधित पोस्ट