बिटकॉइन या अधिक व्यापक तौर पर कहें तो क्रिप्टोकरेंसी तेजी से ‘मुख्य धारा की वैकल्पिक वित्तीय परिसंपत्ति’ बनने की दिशा में अग्रसर है, क्योंकि यह पारंपरिक वित्तीय (या ट्राडफी) उपायों के जरिये आसानी से उपलब्ध है। अल सल्वाडोर की सरकार (जो बिटकॉइन को वैकल्पिक मुद्रा के रूप में स्वीकार करती है) ने बिटकॉइन ‘वोल्कैनो’ बॉन्ड जारी करने की औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं।
वैश्विक वित्तीय जगत की सबसे प्रमुख कंपनियों में से एक ब्लैकरॉक से हाजिर बिटकॉइन एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) को सूचीबद्ध करने का प्रस्ताव अमेरिका के बाजार नियामक सिक्योरिटीज ऐंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) की मंजूरी के लिए प्रतीक्षारत है। इसके अलावा नैस्डैक भी क्रिप्टोमाइनिंग पर केंद्रित कई कंपनियों को सूचीबद्ध कर रहा है।
इन घटनाओं के बीच भारत को क्रिप्टोकरेंसी पर अपने नियामकीय रुख की समीक्षा करने तथा उसे स्पष्ट करने की आवश्यकता है। भारत ने जी20 देशों के घोषणापत्र दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए हैं जो यह सुनिश्चित करता है कि भारतीय नागरिकों द्वारा विदेशों में क्रिप्टोकरेंसी में किए जाने वाले लेनदेन के बारे में क्रिप्टो-असेट रिपोर्टिंग फ्रेमवर्क के तहत सूचित किया जाए।
बहरहाल, इस बारे में स्पष्टता नहीं है कि भारतीय क्रिप्टोकरेंसी का क्या करें। हमारे यहां क्रिप्टोकरेंसी पर नियमन इन परिसंपत्तियों के कारोबार पर भारी भरकम कर के साथ समाप्त हो जाता है। इस बारे में नियमन कुछ नहीं कहता है कि इन डिजिटल उपकरणों को विभिन्न मुद्राओं में धनप्रेषण के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है या नहीं अथवा क्या ये वस्तुओं और सेवाओं की खरीद में रुपये का विकल्प हो सकते हैं अथवा क्या इनको भारतीय कानूनों के अधीन कला से जुड़ी वस्तु माना जा सकता है।
वर्ष 2023 में बिटकॉइन का प्रदर्शन बेहतरीन रहा है। जनवरी से दिसंबर तक उसने डॉलर के हिसाब से 150 फीसदी प्रतिफल दिया है। अन्य क्रिप्टोकरेंसी का प्रदर्शन भी बेहतर रहा है। निवेशक क्रिप्टो को ‘डिजिटल स्वर्ण’ के रूप में देखते हैं, जो मुद्रास्फीति से बचाव मुहैया कराती है। इसके अलावा क्रिप्टोकरेंसी कई अहम क्षेत्रों में उपयोगी साबित हुई है।
उदाहरण के लिए क्रिप्टो के जरिये विभिन्न मुद्राओं में धन भेजना पारंपरिक बैंकों के जरिये किए जाने वाले भुगतान की तुलना में काफी किफायती है। स्वैप पर भी यही बात लागू होती है। यह हमारी रुचि का क्षेत्र है, क्योंकि विदेशों से सालाना करीब 100 अरब डॉलर की राशि भारत भेजी जाती है और विदेशों में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों के लिए उनके घरों से भी काफी पैसा भेजा जाता है।
क्रिप्टो और ब्लॉकचेन स्टार्टअप्स में फ्रीलांस काम कर रहे भारत के तकनीकी क्षेत्र के लोगो को अक्सर क्रिप्टोकरेंसी में भुगतान की पेशकश की जाती है। वे इसे स्वीकार करने में हिचकिचाते हैं, क्योंकि उन्हें पता नहीं है कि यह वैध है या नहीं। जिन स्टार्टअप में क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग का हुनर है, वे सतर्क रहते हैं, क्योंकि नियमन स्पष्ट नहीं हैं।
यकीनन भारतीय कारोबारी इन उपकरणों से संचालित गेमिंग और नॉन फंजिबल टोकन (एनएफटी) की व्यवस्था में पीछे छूट गए हैं। इस क्षेत्र में स्पष्टता की तत्काल आवश्यकता है। अल सल्वाडोर का वोल्कैनो बॉन्ड बिटकॉइन आधारित है और वह 10 वर्षों के लिए सालाना 6.5 फीसदी प्रतिफल देने की बात कहता है।
बॉन्ड का इरादा सॉवरिन ऋण चुकाने और प्रस्तावित बिटकॉइन सिटी के निर्माण में धन देने का है। इसे बिटफिनेक्स सिक्युरिटीज प्लेटफॉर्म पर जारी किया जाएगा और वहां इसका कारोबार होगा। यह अल सल्वाडोर का ब्लॉकचेन आधारित उपकरण है।
इसके नाम को समझें तो अल सल्वाडोर ने 241 मेगावॉट की बिटकॉइन माइनिंग परियोजना शुरू की है, जो करीब एक अरब डॉलर की है। इसके लिए जियोथर्मल एनर्जी का प्रयोग किया गया है, जो देश के ज्वालामुखियों से हासिल होती है।
मान लें कि एसईसी ब्लैकरॉक के हाजिर बिटकॉइन ईटीएफ को मंजूर कर देगा। उस स्थिति में वॉल स्ट्रीट के सबसे बड़े संस्थागत कारोबारियों को क्रिप्टोकरेंसी क्षेत्र में प्रवेश की इजाजत मिलेगी और तब ऐसे ही अन्य ईटीएफ एथीरियम जैसी क्रिप्टोकरेंसी के लिए सामने आ सकते हैं।
भारतीय कानून निर्माताओं और नियामकों की यह चिंता समझी जा सकती है कि क्रिप्टो वित्तीय स्थिरता को प्रभावित कर सकती हैं और धनशोधन में उनका इस्तेमाल हो सकता है। परंतु देश को एक स्पष्ट नियामकीय रुख और इन उपकरणों पर लगने वाले कर आदि पर स्वीकार्य नियमों की आवश्यकता है।