अदाणी प्रॉपर्टीज (Adani Properties) ने गत नवंबर में मुंबई के धारावी क्षेत्र के पुनर्विकास (dharavi redevelopment project) की निविदा हासिल की थी। अब जबकि महाराष्ट्र सरकार ने अदाणी प्रॉपर्टीज को धारावी को नए सिरे से विकसित करने का प्रस्ताव पारित कर दिया है तो समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी ने एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्तियों में से एक धारावी के साथ अपने ‘गहन व्यक्तिगत रिश्ते’ का जिक्र किया है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि इस रिश्ते की वजह से ही उन्होंने इस परियोजना के लिए निकटतम बोलीकर्ता से ढाई गुना अधिक की बोली लगाई। अदाणी ने कहा कि उन्हें यकीन है कि एक बार जब 6.50 लाख रहवासियों के पुनर्वास और 259 एकड़ के इस इलाके के विकास का काम तय समय में पूरा हो जाएगा तो पूर्व हेवीवेट बॉक्सिंग चैंपियन माइक टायसन इस जगह को पहचान नहीं पाएंगे।
टायसन 2018 में धारावी आए थे। उन्हें इस बात का भी यकीन था कि ऑस्कर विजेता फिल्म ‘स्लमडॉग मिलियनॉयर’ के निर्देशक डैनी बॉयल भी पाएंगे कि नई बदली हुई धारावी बिना स्लमडॉग नाम के ही लखपति पैदा कर रही है। उन्होंने एक ऐसी परियोजना के बारे में ये आत्मविश्वास से भरी हुई बातें की हैं जो विवादित रही है और ताजा परियोजना भी कम चुनौतीपूर्ण नहीं है।
धारावी के पुनर्वास की पहली कोशिश 2008 में और फिर 2016 में की गई थी लेकिन प्रॉपर्टी डेवलपरों ने इसमें रुचि नहीं दिखाई थी। ताजा मामले में भी मुंबई के एक रियल्टी डेवलपर ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। उसका दावा है कि उसने 2019 में अदाणी समूह के खिलाफ बोली हासिल की थी।
बाद में निविदा में संशोधन करके रेलवे की जमीन के विकास को इसमें शामिल किया गया। उद्धव ठाकरे सरकार ने 2020 में उसे रद्द कर दिया। 2022 में एक नई निविदा जारी की गई जिसे अदाणी समूह ने हासिल किया। इस सौदे में अच्छी बात है बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स के निकट महंगी वाणिज्यिक और आवासीय अचल संपत्ति को विकसित करना। यह मुंबई के फैशनेबल समृद्ध लोगों की पसंदीदा जगह के रूप में उभरा है। इसे हासिल करने के लिए पहले धारावी के निवासियों को झुग्गियों से 400 वर्ग फुट के आवासों में स्थानांतरित करना होगा।
बोली के दस्तावेज में वादा किया गया है कि उन्हें पानी, बिजली, पाइप से गैस और सीवेज निपटान की व्यवस्था बनाकर दी जाएगी। इस लक्ष्य को बिना इस क्षेत्र की आर्थिक गतिविधियों को छेड़े हासिल किया जाएगा। इन गतिविधियों में मिट्टी के बर्तन बनाना, चमड़े का काम, सिलाई आदि शामिल हैं। एक अनुमान के मुताबिक यहां 58,000 वाणिज्यिक और पारिवारिक व्यवसाय उपक्रम हैं।
योग्य लाभार्थियों को परिभाषित करना भी समस्या होगी। फिलहाल तो सभी रहवासी पुनर्वास की योग्यता नहीं रखते। इस क्षेत्र में चयन करने से कानून-व्यवस्था की दिक्कत पैदा हो सकती है।
अदाणी का संकेत है कि इन समस्याओं के हल निकाल लिए गए हैं। पहले उन्होंने कहा कि निविदा दस्तावेज में कहा गया है कि जिन किरायेदारों को अर्हता हासिल नहीं है उन्हें भी पुनर्वास योजना में शामिल किया जाएगा। यह आश्वस्त करता है लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि इसे जमीन पर कैसे अमल में लाया जाएगा।
दूसरा, उनकी योजना है कि आजीविका की समस्या को दूर करने के लिए कौशल विकास केंद्र खोले जाएंगे और सेवा आधारित उद्यमिता मॉडल, शोध एवं विकास केंद्र, सहायता केंद्र तथा कई अन्य सुविधाएं शुरू की जाएंगी। अदाणी ने कहा कि इस परियोजना के तहत व्यवस्थित और संगठित बाजारों के निर्माण में निवेश किया जाएगा जो ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स के अनुरूप हों।
ऐसी घोषणा सही प्रतीत होती है और परियोजना क्रियान्वयन से उम्मीदें बढ़ा देती है। खासतौर पर तब जबकि मुंबई का स्लम पुनर्वास प्राधिकार 28 वर्षों के अनुभव के बावजूद किसी तरह की कामयाबी नहीं हासिल कर सका हो। यकीनन परियोजना क्रियान्वयन में अदाणी का प्रदर्शन अच्छा रहा है। परंतु धारावी उनके लिए नई तरह की चुनौती बन सकती है।