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वित्त वर्ष 2023 में अग्रिम पंक्ति के कामगारों की मांग में दर्ज की गई कमी

बेटरप्लेस की फ्रंटलाइन इंडेक्स रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2023 में अग्रिम पंक्ति के कामगारों की मांग में 17.5 प्रतिशत कमी आई है।

Last Updated- September 25, 2023 | 12:58 AM IST
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वित्त वर्ष 2023 में अग्रिम पंक्ति के कामगारों (फ्रंटलाइन वर्कर्स) की मांग में कमी दर्ज की गई है। कठिन आर्थिक हालात इसका एक कारण बताया जा रहा है। इससे पहले वित्त वर्ष 2022 में अर्थव्यवस्था के गति पकड़ने के बाद ऐसे कामगारों की खूब मांग रही थी।

किसी कंपनी या संगठन में आवश्यक सेवाएं देने वाले कर्मचारियों को फ्रंटलाइन वर्कर्स कहा जाता है। बेटरप्लेस की फ्रंटलाइन इंडेक्स रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2023 में अग्रिम पंक्ति के कामगारों की मांग में 17.5 प्रतिशत कमी आई है।

आलोच्य अवधि में अग्रिम पंक्ति के कामगारों के लिए 66 लाख रोजगार सृजित हुए थे मगर वित्त वर्ष 2022 में यह आंकड़ा 80 लाख रहा था।

माना जा रहा है कि वैश्विक स्तर पर आर्थिक हालात कठिन रहने के कारण ऐसे कामगारों के लिए रोजगार के अवसर कम हुए हैं। हालांकि, रिपोर्ट के अनुसार अच्छी बात यह है कि गिग कार्यों में तेजी आ रही है और बड़ी संख्या में उद्यम अपने श्रम बलों पर आने वाली लागत में कमी करना चाह रहे हैं।

वित्त वर्ष 2022 में ई-कॉमर्स क्षेत्र ने अग्रिम पंक्ति के कामगारों के लिए रोजगार पैदा करने में अहम भूमिका निभाई थी मगर वित्त वर्ष 2023 में यह रफ्तार कायम नहीं रह पाई है। अब ई-कॉमर्स की जगह लॉजिस्टिक्स ऐंड मोबिलिटी (माल एवं परिवहन) और आईएफएम ऐंड आईटी क्षेत्र ले ली है। ये दोनों क्षेत्र संयुक्त रूप से नए रोजगार सृजित करने में 61 प्रतिशत से अधिक योगदान दे रहे हैं।

मगर अग्रिम पंक्ति के कामगारों में महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने में ई-कॉमर्स क्षेत्र अब भी सबसे आगे है। रोजगार में लगी कुल महिला कामगारों में 64 प्रतिशत ई-कॉमर्स क्षेत्र में काम करती हैं।

बेटरप्लेस के सह-संस्थापक एवं समूह मुख्य कार्याधिकारी प्रवीण अग्रवाल कहते हैं, भारत में अग्रिम पंक्ति के कामगार सबसे अधिक सक्रिय रहते हैं और माहौल खराब होने पर सबसे पहले उन पर ही असर होता है।

वैश्विक स्तर पर आर्थिक हालात चुनौतीपूर्ण होने के बाद भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया में उद्यम नई भर्ती करने से पहले काफी सोच-विचार कर रहे हैं। श्रम बल में गिग कर्मियों की संख्या बढ़ रही है, जिससे रोजगार में महिलाओं की भागीदारी दर में इजाफा हुआ है।

बदले हालात के बीच तकनीकी उपायों की जरूरत महसूस की जा रही है जो तेजी से बदलती स्थितियों से निपट सकते हैं और कर्मचारियों की उत्पादकता बनाए रखने के साथ ही अपने साथ जोड़े भी रख सकते हैं।

पिछले साल से अब तक ई-कॉमर्स क्षेत्र में अग्रिम पंक्तियों के कामगारों के लिए रोजगार में 52 प्रतिशत कमी आई है मगर अब भी यह रोजगार (33 प्रतिशत) देने वाला दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है।

वित्त वर्ष 2022 और वित्त वर्ष 2023 के बीच श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी दर दोगुना (3 प्रतिशत से बढ़कर 6 प्रतिशत) हो गई है। परिवारों के नजरिये में बदलाव के कारण ऐसा संभव हो पाया है।

सर्वेक्षण के अनुसार 88 प्रतिशत महिलाओं को रोजगार करने में उनके परिवार उन्हें सहयोग कर रहे हैं। हालांकि, वित्त वर्ष 2023 में अग्रिम पंक्ति के महिला कामगारों का औसत मासिक वेतन उद्योग के औसत से 20.5 प्रतिशत कम रहा था।

अग्रिम पंक्ति के रोजगारों में युवाओं की भागीदारी 66 प्रतिशत रही है मगर अब उनकी भागीदारी धीरे-धीरे कम हो रही है। सर्वेक्षण के अनुसार वित्त वर्ष 2022 और 2023 के दौरान श्रम बल में युवाओं की भागीदारी 8 प्रतिशत कम हो गई है। इसकी तुलना में 30 से 40 वर्ष के कामगारों की भागीदारी में 25 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है।

अग्रिम पंक्ति के 80 प्रतिशत से अधिक कामगार पर्याप्त स्तर तक शिक्षित हैं। वित्त वर्ष 2023 में इस खंड के कामगारों का औसत मासिक वेतन 4.5 प्रतिशत कम होकर 21,700 रुपये रह गया है।

यह रिपोर्ट अप्रैल 2022 से मार्च 2023 के बीच बेटरप्लेस द्वारा संकलित आंकड़ों पर आधारित है। विश्लेषण एवं निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए 30 लाख से अधिक बिंदुओं पर विचार किया गया। ये बिंदु भारत में आवश्यक सेवाएं देने वाले कर्मचारियों की भर्ती, मांग, नौकरी छोड़ने की दर, उनके पलायन, उनके वेतन, उनके नए हुनर सीखने सहित कई पहलुओं पर विस्तृत जानकारी देते हैं।

First Published - September 25, 2023 | 12:58 AM IST

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