कर्नाटक उच्च न्यायालय ने गुरुवार को गेमिंग प्लेटफॉर्म गेम्सक्राफ्ट टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड (Gameskraft Technology Private Limited) के खिलाफ जारी कारण बताओ नोटिस रद्द कर दिया है। जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (डीजीसीआई) की ओर से जारी इस नोटिस में गेम्सक्राफ्ट से अगस्त 2017 से जून 2022 की अवधि के लिए 20,989 करोड़ रुपये कर की मांग की गई थी।
भारत के अप्रत्यक्ष कर के इतिहास में यह सबसे ज्यादा कर मांग का नोटिस था।
सितंबर 2022 में जारी कारण बताओ नोटिस में अधिकारियों ने कहा कि गेम्सक्राफ्ट (Gameskraft) कार्ड, कैजुअल और फैंटेसी गेम्स जैसे रमी कल्चर, गेम्जी और रमी टाइम के माध्यम से ऑनलाइन बाजी लगाने को बढ़ावा दे रही थी। उन्होंने आरोप लगाया कि जीटीपीएल अपने ग्राहकों को ऑनलाइन खेलों के माध्यम से धन दांव पर लगाने की अनुमति दे रही थी।
अधिकारियों ने कहा था कि इसे देखते हुए फर्म पर बाजी लगाई गई राशि 77,000 करोड़ रुपये पर 28 प्रतिशत कर लगाया गया है, जो अवसर के खेलों/बाजी लगाने और जुएबाजी पर लागू होता है। अधिकारियों ने कहा कि जीटीपीएल ग्राहकों पर बाजी लगाना जारी रखने पर जोर दे रही थी क्योंकि इसमें वॉलेट में धन आने के बाद वापसी का कोई रास्ता नहीं था।
अधिकारियों ने आरोप लगाया था कि कंपनी अपने ग्राहकों को इनवॉयस जारी नहीं कर रही थी। उन्होंने कहा कि दस्तावेजों की फोरेंसिक जांच के दौरान पुरानी तिथि की इनवॉयस पाया गया, जो सीजीएसटी ऐक्ट 2017 की धारा 15 (3) का सीधा उल्लंघन है।
कंपनी ने कहा कि ऑनलाइन गेमिंग पर कर लगाने का मसला 3 साल से ज्यादा वक्त से जीएसटी परिषद के पास लंबित है। उसने आरोप लगाया कि अधिकारियों ने गलती की और गेम प्ले को 28 प्रतिशत कर के दायरे में डाल दिया।
यह मसला पहली बार तब प्रकाश में आया, जब जीएसटी के अधिकारियों ने नवंबर 2021 में गेम्सक्राफ्ट (Gameskraft) के कार्यालय पर छापा मारा। पहली बाद 419 करोड़ रुपये कर चोरी का कथित मामला पकड़ा गया। बाद में यह बढ़कर 5,000 करोड़ रुपये और आखिरकार 2022 में 21,000 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
ईवाई-लोको की एक रिपोर्ट के मुताबिक गेमिंग इंडस्ट्री का लेन-देन पर आधारित खेल का राजस्व 2022 में 10,400 करोड़ रुपये का है, जो गेम्सक्राफ्ट से की गई जीएसटी मांग की तुलना में कम है।
गेमिंग इंडस्ट्री ने इस फैसले का स्वागत किया है। उनका कहना है कि इस सेक्टर पर जीएसटी पर चल रही चर्चा में अब अतिरिक्त स्पष्टता आएगी। ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन (एआईजीएफ) के सीईओ रोलैंड लैंडर ने कहा, ‘कर्नाटक उच्च न्यायालय का यह फैसला मील का पत्थर है। इससे भारत के गेमिंग स्टार्टअप्स को मदद मिलेगी और इससे इस उद्योग की तेज वृद्धि सुनिश्चित हो सकेगी।’
गेमिंग के क्षेत्र में सबसे पुराना और बड़ा उद्योग संगठन एआईजीएफ भी इस मामले में पक्षकार था। लैंडर्स ने कहा, ‘हमें सरकार और न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है। उम्मीद है कि इस फैसले से इस उभरते क्षेत्र पर जीएसटी नीति तय करने में जीएसटी परिषद को निश्चितता और स्पष्टता मिल सकेगी।’
गेम्सक्राफ्ट के वकीलों में से एक खेतान ऐंड कंपनी में पार्टनर सुदीप्त भट्टाचार्य ने कहा, ‘जीएसटी अधिकारियों ने गेम्सक्राफ्ट और पिछले कुछ महीनों में ऑनलाइन स्किल गेमिंग क्षेत्र पर ऐसे तरीके से जीएसटी की मांग की, जो बेटिंग ऐंड गैंबलिंग कंपनियों पर लगता है। इस प्रकार से कौशल के खेल और संयोग के खेल के बीच अंतर की कानूनी मान्यता को खत्म कर दिया गया था।’
गेमिंग यूनीकॉर्न गेम्स 24/7 में चीफ लीगल ऑफिसर समीर चुघ का कहना है कि यह फैसला कौशल वाले खेल उद्योग से जुड़ी नीतियां और उन पर लगने वाला कर तय करने को लेकर आगे चल रही चर्चा के लिए दिशा दिखाने का काम करेगा।