भारत के दो बड़े व्यावसायिक घरानों-अदाणी समूह और रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) ने अगले पांच वर्षों के दौरान कम्प्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) संयंत्र लगाने की योजना बनाई है।
बायोगैस वैल्यू चेन से जुड़े अधिकारी उम्मीद कर रहे हैं कि इस क्षेत्र में उनके प्रवेश से फीडस्टॉक की आसान आपूर्ति श्रृंखला, बेहतर वित्त और मजबूत कारोबार को बढ़ावा मिलेगा। इसके शुरुआती संकेत आशाजनक हैं, क्योंकि बड़ी कंपनियों ने दीर्घावधि खरीदारी के लिए समझौते किए हैं।
कुछ महीने पहले अदाणी टोटाल एनर्जीज ने उत्तर प्रदेश में अपने नियोजित सीबीजी संयंत्र के लिए नैपियर ग्रास आपूर्ति के संबंध में पांच वर्षीय अनुबंध के तौर पर फीडस्टॉक आपूर्तिकर्ताओं से अभिरुति पत्र (ईओआई) आमंत्रित किए। कंपनी ने दावा किया है कि 600 टन प्रतिदिन क्षमता के साथ यह देश में उसका सबसे बड़ा संयंत्र होगा।
अगले पांच साल में अदाणी टोटाल एनर्जीज ने पूरे भारत में पांच सीबीजी संयंत्र और आरआईएल ने 100 संयंत्र लगाने की योजना बनाई है। सस्टेनेबल अल्टरनेटिव टुवर्ड्स अफॉर्डेबल ट्रांसपोर्टेशन (सैटेट) योजना के तहत सरकार 5,000 सीजीबी संयंत्र लगाने और 1.5 करोड़ टन की उत्पादन क्षमता हासिल करने की संभावना तलाश रही है।
सैटेट योजना सरकार समर्थित कंपनियों इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और गेल द्वारा प्रवर्तित है। गोबरधन (गैल्वनाइजिंग ऑर्गेनिक बायो-एग्रो रिसोर्सेज धन) के आंकड़े से पता चलता है कि भारत में 58 चालू सीबीजी/बायो सीएनजी संयंत्र हैं।
इंडियन बायोगैस एसोसिएशन के चेयरमैन गौरव केडिया का मानना है कि भारत की फीडस्टॉक क्षमता अनुमानित क्षमताओं के मुकाबले ज्यादा है।