देश की सरकारी खनन कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) 61 फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी (एफएमसी) परियोजनाओं पर 24,000 करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय करेगी। इससे वह प्रभावी तरीके से कोयला निकाल सकेगी। कंपनी ने एक बयान में कहा है कि परियोजना पूरी होने पर उसकी सालाना क्षमता बढ़कर 76.5 करोड़ टन हो जाएगी।
सीआईएल ने 2021 में 35 एफोएमसी परियोजनाओं की योजना बनाई थी, जिनकी सालाना क्षमता 41.45 करोड़ टन होने का अनुमान लगाया गया था। इनमें से इस समय 11.2 करोड़ टन सालाना क्षमता की 8 एफएमसी परियोजनाएं परिचालन में आ गई हैं।
यह परियोजना आत्मनिर्भर भारत अभियान का हिस्सा है, जिसके लिए वित्त मंत्रालय ने 2021 में 20 लाख करोड़ रुपये पैकेज की घोषणा की थी। इसमें कोल इवैकुएशन इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने पर 50,000 करोड़ रुपये और कोयले की ढुलाई के मशीनीकरण के लिए 18,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। यह कदम सरकार की कोयला आयात में कमी लाने की कवायद का हिस्सा है।
सीआईएल ने कहा कि वह वित्त वर्ष 24 में 17.8 करोड़ टन सालाना क्षमता की 17 और एफएमसी परियोजनाएं पूरी करने की ओर है। इसमें कहा गया है कि 12.45 करोड़ टन सालाना क्षमता की शेष परियोजनाएं वित्त वर्ष 25 तक पूरी होने की संभावना है।
आगामी दूसरे व तीसरे चरण की परियोजनाओं की इवैकुएशन क्षमता 5.7 करोड़ टन सालाना और 29.2 करोड़ टन सालाना है और इन पर क्रमशः 2,500 करोड़ रुपये और 11,500 करोड़ रुपये निवेश होगा।एफएमसी परियोजनाओं में मशीनीकृत पाइपों से कोयले की ढुलाई शामिंल है, जिसमें कोयला के उत्पादन स्थल से कोल हैंडलिंग संयंत्रों/साइलो तक कोयला पहुंचाया जाएगा।
हैंडलिंग इकाइयां मशीनीकृत होंगी, जहां तेज लोडिंग व्यवस्था के माध्यम से इसे सीधे रेलवे वैगन में लादा जा सकेगा। एफएमसी को खनन स्थल से रेलवे तक ट्रकों से कोयले की ढुलाई की तुलना में पर्यावरण अनुकूल, सुरक्षित और ज्यादा कुशल माना जा रहा है।
दूसरे चरण में 2.15 एमटीपीए की 5 परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं और वित्त वर्ष 25 तक इनके पूरे होने की उम्मीद है। शेष परियोजनाएं विभिन्न चरणों में हैं।