भारत की प्रमुख सीमेंट निर्माता (Cement Companies) कंपनियों द्वारा आगामी वर्षों में 20 करोड़ टन की नई क्षमता जोड़े जाने की संभावना है। क्षमता बढ़ाने की दौड़ के साथ ये कंपनियां हरसंभव न्यूनतम लागत पर ऐसा करने की कोशिश कर रही हैं।
अदाणी सीमेंट, श्री सीमेंट, डालमिया सीमेंट और जेएसडब्ल्यू सीमेंट ने लॉजिस्टिक, आपूर्ति श्रृंखलाओं के प्रबंधन, कच्चे माल और ऊर्जा के किफायती इस्तेमाल और पूंजी एवं कर्मचारियों की लागत घटाने की योजनाएं बनाई हैं।
डालमिया सीमेंट अपनी 4.37 करोड़ टन सालाना की मौजूदा क्षमता वर्ष 2031 तक बढ़ाकर 11-153 करोड़ टन तक पहुंचाने की योजना बना रही है।
पिछले सप्ताह कंपनी ने कहा कि वह भारत में सर्वाधिक कम लागत वाली सीमेंट उत्पादक थी और 40 रुपये प्रति टन के हिसाब से नई क्षमता जोड़ सकती है। श्री सीमेंट और अदाणी सीमेंट ने भी इसी तरह की योजनाएं बनाई हैं।
अदाणी सीमेंट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ हुई बातचीत में कहा था कि कंपनी लागत किफायती बनने पर जोर देगी। अधिकारी ने 40-50 रुपये प्रति टन के लागत लाभ का हवाला देते हुए कहा कि कंपनी अपनी क्षमता दोगुनी कर 14 करोड़ टन पर पहुंचाकर ज्यादा बचत करेगी।
श्री सीमेंट भी अपने कम पूंजी लागत लाभ का फायदा उठाने की उम्मीद कर रही है। अपनी वित्त वर्ष 2023 की रिपोर्ट में कंपनी ने इसका जिक्र किया कि उसे खर्च करने संबंधित प्रयासों से परियोजना क्रियान्वयन का समय घटाने और लागत बचत करने में मदद मिली है।
सितंबर 2022 में प्रवर्तक शेयरधारिता में बदलाव के बाद से अंबुजा सीमेंट और एसीसी ने भंडारण सेगमेंट में कटौती की है। अधिकारी ने कहा कि नई क्षमताओं के लिए भी लागत को तर्कसंगत बनाने की समान प्रक्रिया बरकरार रहेंगी।
कच्चे माल के आपूर्तिकर्ताओं के साथ दीर्घावधि समझौते करने जैसे अन्य उपायों पर भी जोर दिया गया है।
जेएसडब्ल्यू सीमेंट के मुख्य कार्याधिकारी नीलेश नार्वेकर ने कहा कि कंपनी ने पूरे साल के लिए अपनी कोयला और पेटकोक जरूरतें के लए समझौते किए थे, जिससे उसे आकर्षक मूल्य निर्धारण में मदद मिली।
केयर एज में सहायक निदेशक रवलीन सेठी ने कहा कि लागत-किफायती उपाय अपनाने से सीमेंट कंपनियों को वित्तीय के साथ साथ सस्टेनेबिलिटी लक्ष्यों को पूरा करने में मदद मिली है।
उन्होंने कहा, ‘मौजूदा समय में ईंधन लागत अस्थिर है और कीमतों में इजाफा हुआ है, लेकिन इनमें संतुलन बनाए रखने की जरूरत होगी। कंपनियां लागत कटौती और अनुकूलन पर ज्यादा ध्यान दे रही हैं।’