दूरसंचार विभाग के केंद्रीय उपकरण पहचान रजिस्टर (सीईआईआर) ने 2.85 लाख खोए या चोरी हुए मोबाइल फोन का पता लगाया है और 6.8 लाख उपकरणों को ब्लॉक कर दिया है। लेकिन 20,771 मोबाइल फोन ही बरामद हो पाए हैं। सरकारी अनुमान के मुताबिक देश में हर महीने 50,000 मोबाइल फोन चोरी होते हैं।
दूरसंचार विभाग के संचार साथी पोर्टल के हिस्से रूप में सीईआईआर की शुरुआत हुई थी। सरकार का इस प्लेटफॉर्म को शुरू करने का बुनियादी मकसद यहा था कि मोबाइल फोन इस्तेमालकर्ताओं को विभिन्न तरह की धोखाधड़ियों से बचाया जाए।
इन धोखाधड़ियों में पहचान चुराना, फर्जी केवाईसी, मोबाइल फोन की चोरी और बैंकिंग धोखाधड़ी शामिल थीं। इस प्लेटफॉर्म की मदद से नागरिक अपने नाम से जारी मोबाइल इस्तेमालकर्ता का नाम पता कर सकते हैं। अवांछित कनेक्शन को रोक सकते हैं, खोए हुए मोबाइल को ब्लॉक कर सकते हैं या उसकी जगह का पता लगा सकते हैं, नए व पुराने मोबाइल को खरीदते वक्त उपकरण की असलियत का पता लगा सकते हैं।
सीईआईआर प्रणाली दूरसंचार आपरेटरों को डिवाइस के आईएमईआई नंबर और संबंधित मोबाइल नंबर तक पहुंच प्रदान करती है। इसका उपयोग खोए या चोरी हुए मोबाइल फोन का पता लगाने के प्रायोगिक कार्यक्रम के तहत दादर और नगर हवेली, महाराष्ट्र के हिस्सों और दिल्ली में 2019 से किया जा रहा है। हालांकि अपराधी आमतौर पर चोरी किए गए मोबाइल फोन का ईएमआईई नंबर बदलते हैं जिस पर नजर रखने के लिए सीईआईआर को बनाया गया है।
पुलिस की कार्रवाई से आता है परिवर्तन
पता लगाने (ट्रैकिंग) का अनुरोध बड़े पैमाने पर इस्तेमालकर्ता करते हैं जबकि देश भर में बरामदगी करने के कार्य को अंजाम पुलिस विभाग करता है। अधिकारी ने बताया कि पोर्टल आधुनिकतम तकनीक मुहैया करवाता है। इससे चोरी हुआ मोबाइल किस स्थान पर है, उसकी जानकारी मिल जाती है और उसे ब्लॉक किया जा सकता है। जमीनी स्तर पर बरामदगी करने का कार्य पुलिस ही कर सकती है।
दूरसंचार विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘बरामद होने वाले मोबाइल फोनों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है, लेकिन जितने मोबाइल फोन की स्थिति का सटीक ढंग से पता लगाया जाता है, उसे देखते हुए बरामदगी कम है। हम इस मामले को जोरदार ढंग से राज्यों के गृह विभागों के समक्ष उठा रहे हैं।’
बरामदगी में तेलगांना सर्कल का रिकार्ड अच्छा है। तेलंगाना सर्कल में मोबाइल की स्थिति का पता लगाए जाने के बाद बरामदगी 61 फीसदी है। हालांकि दिल्ली सर्कल में मोबाइल की स्थिति ज्ञात होने के बाद बरामदगी केवल 0.6 फीसदी है