India-Canada Row: भारत और कनाडा (Canada) के बीच बढ़ते तनाव की वजह से देश में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के निवेश से जुड़े प्रमुख देशों की सूची में कनाडा एक पायदान नीचे चला गया है।
सिख अलगाववादी की हत्या के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास पैदा हो गई है। सितंबर के अंत में, भारत में विदेशी पूंजी के सातवें सबसे बड़े स्रोत के तौर पर नॉर्वे ने कनाडा को पीछे छोड़ा।
सकारात्मक बात यह है कि रैकिंग में गिरावट बड़े पैमाने पर बिकवाली की वजह से नहीं आई है। इसके विपरीत, कनाडा-केंद्रित एफपीआई की ऐसेट्स अंडर कस्टडी (एयूसी) मासिक आधार पर 1 प्रतिशत बढ़कर 1.8 लाख करोड़ रुपये हो गईं। एयूसी में वृद्धि 1.4 प्रतिशत की संपूर्ण एफपीआई एयूसी वृद्धि से थोड़ी नीचे रही। सितंबर में, नॉर्वे की एयूसी करीब 4 प्रतिशत बढ़कर 1.81 लाख करोड़ रुपये हो गई।
कुल एयूसी में कनाडा की भागीदारी घटकर 3.06 प्रतिशत रह गई। एयूसी आंकड़े से इसे लेकर चिंताएं बढ़ी हैं कि कनाडाई फंड दोनों देशों के बीच बिगड़ते संबंधों की वजह से अपना भारतीय निवेश घटा सकते हैं। हालांकि यह देखने की जरूरत होगी कि क्या कनाडाई फंड भारतीय कंपनियों, बैंकों और इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में बड़ी राशि का निवेश पहले की तरह बरकरार रखेंगे या नहीं।
इंडियालॉ में सीनियर पार्टनर शिजु पीवी ने कहा, ‘भारत और कनाडा के बीच कुछ समय से राजनीतिक तनाव बना हुआ है। भारत में कनाडाई निवेश करते समय इस बात को ध्यान में रखा गया। इसलिए अल्पावधि में प्रभाव ज्यादा गंभीर नहीं हो सकता है। हालांकि यदि गतिरोध लंबे समय तक बना रहा तो इससे निवेश धारणा प्रभावित हो सकती है।’
कनाडाई पब्लिक पेंशन फंडों ने घरेलू इक्विटी और डेट में बड़ी रकम निवेश की है। कुछ बड़े निवेशक हैं कनाडा पेंशन प्लान इन्वेस्टमेंट बोर्ड (सीपीपीआईबी), जिसने भारत में 20 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश किया है, कायसे डी डिपो ऐट प्लेसमेंट डु क्यूबेक (क्यूबेक वर्करों के लिए पेंशन फंड) और इन्वेस्टमेंट्स ऑफ ऑन्टेरियो टीचर्स पेंशन प्लान (जिसने भारत में 2 अरब डॉलर से ज्यादा निवेश किया है)।
अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक यूआर भट ने कहा, ‘कनाडाई पेंशन फंड भारत पर उत्साहित हैं और वे इतनी जल्द पीछे नहीं हटेंगे। लेकिन यदि दोनों देशों के बीच तनाव बरकरार रहा तो वे नए निवेश को लेकर कुछ सतर्कता बरत सकते हैं। वीजा प्रतिबंधों की वजह से फंड प्रबंधकों को निवेशित कंपनियों का दौरा करने में समस्या हो सकती है।ऋ’
मॉरीशस से भी निवेश घटा
इस बीच, पिछले दो वर्षों के दौरान नियामकीय बदलावों की वजह से भारतीय बाजार में मॉरीशस से निवेश लगातार कमजोर पड़ रहा है।
मॉरीशस के फंडों की एयूसी मासिक आधार पर 4.3 प्रतिशत घटकर सितंबर में 3.6 लाख करोड़ रुपये रह गई। इस साल अब तक के आधार पर, एयूसी में करीब 18 प्रतिशत की गिरावट आई है, भले ही संपूर्ण एफपीआई एयूसी 11 प्रतिशत तक बढ़ी हैं।
भारत में निवेश के लिहाज से मॉरीशस का स्थान 2021 के दूसरे से फिसलकर मौजूदा समय में चौथे पायदान पर है।