ट्रेड जेनेरिक्स दवाएं (वे दवाएं, जो वितरकों के जरिये प्रत्यक्ष रूप से बेची जा रही हैं) घरेलू फार्मा कंपनियों के लिए प्रमुख सेगमेंट बन रही हैं, क्योंकि संपूर्ण बाजार में बिक्री वृद्धि धीमी बनी हुई है।
सिप्ला और एल्केम जैसी बड़ी कंपनियों की इस सेगमेंट में अच्छी मौजूदगी है, लेकिन हाल में टॉरंट फार्मा और डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज (डीआरएल) जैसी कंपनियों ने भी इस बाजार में प्रवेश किया है।
भारतीय दवा बाजार (IPM) में बिक्री वृद्धि वित्त वर्ष 2016 के 5.6 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2023 में 0.1 प्रतिशत रह गई। केंद्र सरकार भी अपने ट्रेड जेनेरिक्स पर ध्यान दे रही है, क्योंकि उसने सस्ती दवाओं तक व्यापक पहुंच सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखा है।
जन औषधि स्टोरों ने पिछले पांच साल में 54 प्रतिशत की सालाना वृद्धि दर्ज की है। जन औषधि योजना को प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) के नाम से भी जाना जाता है। जन औषधि फार्मेसी स्टोरों के जरिये जेनेरिक दवाएं बड़ी छूट पर मुहैया कराई जाती हैं।
ब्रांडेड जेनेरिक दवाओं की बिक्री कंपनी द्वारा अपने कर्मियों और डॉक्टर के पर्चे के जरिये की जाती है।
एक ताजा रिपोर्ट में नोमुरा के विश्लेषकों ने कहा है, ‘पीएमबीजेपी के खुलासे से संकेत मिलता है कि औसत तौर पर ब्रांडेड जेनेरिक दवाओं के मुकाबले छूट करीब 85 प्रतिशत होती है। यानी किसी ब्रांडेड जेनेरिक की रिटेल कीमत जन औषधि स्टोरों की कीमतों के मुकाबले करीब सात गुना होती है। इसलिए, 1,220 करोड़ रुपये की जन औषधि बिक्री 8,540 करोड़ रुपये की ब्रांडेड जेनेरिक रिटेल बिक्री के बराबर है, जो ब्रांडेड जेनेरिक बाजार का 4.2 प्रतिशत (आईक्यूवीआईए डेटा के आधार पर) है। 30 प्रतिशत से ज्यादा वृद्धि के साथ हमारा मानना है कि जन औषधि हरेक साल भारतीय दवा बिक्री का करीब 1 प्रतिशत पर कब्जा जमा रही है। जन औषधि की बढ़ती लोकप्रियता के साथ साथ दवा कंपनियों के ट्रेड जेनेरिक्स में वृद्धि और रिटेल फार्मेसी द्वारा प्राइवेट लेबलों से ब्रांडेड जेनेरिक की बिक्री वृद्धि प्रभावित हो रही है।’
वित्त वर्ष 2023 में देश में 9,304 जन औषधि स्टोर थे, जिसके साथ ही भारत में यह सबसे बड़ी फार्मेसी चेन बन गई है। अक्सर ट्रेड जेनेरिक दवाएं ब्रांडेड जेनेरिक दवाओं के मुकाबले 50-60 प्रतिशत कम कीमत पर उपलब्ध होती हैं, क्योंकि इनसे विपणन खर्च जुड़ा नहीं होता है।
सिप्ला के प्रबंध निदेशक एवं वैश्विक मुख्य कार्याधिकारी उमंग वोहरा ने कंपनी की पहली तिमाही के नतीजों के दौरान कहा, ‘ट्रेड जेनेरिक बाजार मूल्य के लिहाज से आईपीएम का करीब 25 प्रतिशत है और बिक्री के लिहाज से यह करीब 40-45 प्रतिशत होगा। यह बाजार 14 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है।’
उन्होंने कहा कि इंडिया और भारत की सफलता इस सेगमेंट के बगैर अधूरी है। मौजूदा समय में देश में 60 प्रतिशत लोगों की पहुंच किफायती दवाओं तक है, इसलिए इस सेगमेंट पर पर्याप्त ध्यान दिए जाने की जरूरत होगी। करीब 80 प्रतिशत ट्रेड जेनेरिक बाजार टियर-2 से 6 शहरों से जुड़ा हुआ है।