वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन) को अकाउंट एग्रीगेटर (एए) ढांचे में जोड़े जाने को लेकर बैंक और इस क्षेत्र में काम करने वाले संस्थान उत्साहित हैं। इससे न सिर्फ सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) में धन का प्रवाह बढ़ेगा, बल्कि इन कर्जदाताओं के परिचालन की लागत में कमी आएगी। साथ ही इससे पूरी प्रक्रिया बाधारहित बनने की संभावना है।
इस पूरी योजना से जुड़े लोगों ने कहा कि जनवरी के अंत या फरवरी की शुरुआत में जीएसटीएन के एए नेटवर्क पर लाइव होने की उम्मीद है। पिछले महीने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने एक अधिसूचना में कहा था कि जीएसटीएन को नेटवर्क में वित्तीय सूचना प्रदाता (एफआईपी) के रूप में शामिल किया गया है।
इससे एमएसएमई को कर्ज मिल सकेगा और उनमें नकदी का प्रवाह सुनिश्चित होगा। एए इकोसिस्टम के लिए उद्योग का गठजोड़ सहमति इस समय जीएसटीएन के साथ चर्चा कर रहा है। इससे छोटे व्यापारियों के बारे में वित्तीय संस्थानों को आंकड़े मिल सकेंगे और इससे उन्हें ऐसे संस्थानों को कर्ज मुहैया कराने में मदद मिलेगी।
निजी क्षेत्र के एक बैंकर ने कहा, ‘इससे परिचालन लागत में कमी आएगी। सामान्यतया हम हर महीने के स्टाक स्टेटमेंट मांगते हैं। यह जारी रह सकता है, अगर आप यह जानना चाहते हैं कि क्या चल रहा है और क्या हो रहा है। यह हेल्थ मॉनिटर की तरह है। इससे उस तरह की त्रुटियां कम हो सकती हैं, जो हम सामान्यतया करते हैं।’
उन्होंने कहा, ‘हम पहले से ही जीएसटी के आंकड़ों का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन यह बिखरे तरीके से हो रहा है। इस ढांचे से हमें पूरा आंकड़ा एक प्लेटफॉर्म पर मिल जाएगा और इस तरह से हमें 5 अलग इकाइयों के पास नहीं जाना होगा। हम सभी एमएसएमई को उधारी देने की राह निकाल सकते है, लेकिन अभी सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इनकी सूचनाएं सीमित हैं। इसलिए उनके बारे में ज्यादा आंकड़ों से कारोबार में नाटकीय वृद्धि हो सकती है।’
विशेषज्ञों का कहना है कि एए नेटवर्क में जीएसटीएन को जोड़े जाने से बैंक व अन्य कर्ज देने वाले संस्थान छोटे कारोबार के मालिकों तक एक पुष्ट आंकड़ों के साथ विश्वसनीयता के साथ पहुंच सकेंगे। इससे छोटे कारोबारी संस्थागत कर्ज के दायरे में आएंगे और अपनी क्रेडिट हिस्ट्री बना सकेंगे।