बैंकिंग प्रणाली में तीन सप्ताह बाद नकदी फिर बढ़कर अधिशेष के स्तर पर पहुंच गई है। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक यह सरकारी खर्च बढ़ने के कारण हुआ है।
शनिवार को वृद्धिशील नकद आरक्षित अनुपात की 50,000 करोड़ रुपये की अंतिम किश्त जारी होने पर नकदी की स्थिति और बेहतर हो सकती है।
बॉन्ड मार्केट में सक्रिय लोगों का अनुमान है कि नकदी का स्तर बेहतर होने पर भारतीय रिजर्व बैंक ओपन मार्केट आपरेशन्स (ओएमओ) से बॉन्ड की बिक्री की घोषणा कर सकता है। इस घोषणा से नकदी के स्तर में गिरावट आएगी। मार्केट को उम्मीद है कि केंद्रीय बैंक 10,000 करोड़ से 15,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड की बिक्री करेगा।
लिहाजा कारोबारी प्रतिफल के मजबूत होने को लेकर तैयारी कर चुके हैं। सरकार के 10 साल के बेंच मार्क का प्रतिफल सोमवार को 7.38 प्रतिशत पर आ गया जबकि यह शुक्रवार को 7.34 प्रतिशत था।
प्रमुख डीलर ने बताया, ‘सरकारी खर्च बेहतर होने और आई-सीआरआर वापस लिए जाने के कारण नकदी की स्थिति बेहतर हुई है।’ उसने कहा, ‘अभी नकदी अधिशेष की स्थिति में पहुंच गई है। इससे यह उम्मीद बढ़ गई है कि भारतीय रिजर्व बैंक ओएमओ की अधिसूचना लेकर आए। इसलिए दिन के अंत में प्रतिफल बढ़ा।’
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक बैंकों ने शुक्रवार को 2,760 करोड़ रुपये जमा किए थे। इसी तरह ऋणदाताओं ने शनिवार को 5,390 करोड़ रुपये और रविवार को 9,071 करोड़ रुपये जमा किए थे।
भारतीय रिजर्व बैंक के गर्वनर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा था कि केंद्रीय बैंक अतिरिक्त नकदी को कम करने के लिए ओपन मार्केट आपरेशंस का इस्तेमाल कर सकता है। दास ने यह भी कहा था, ‘हमें तरलता का प्रबंधन करने के लिए तेजी से आगे बढ़ते हुए ओएमओ-बिक्री (ओपन मार्केट ऑपरेशंस सेल्स) पर विचार करना पड़ सकता है। इसके समय और मात्रा का निर्धारण नकदी की बढ़ती स्थिति के मद्देनजर लिया जाएगा।’
उन्होंने बताया कि दर निर्धारित करने वाले पैनल ने उच्च मुद्रास्फीति की पहचान की है और यह व्यापक आर्थिक स्थिरता और टिकाऊ वृद्धि के लिए प्रमुख जोखिम हो सकती है। लिहाजा मु्द्रास्फीति को टिकाऊ आधार 4 प्रतिशत के लक्ष्य तक लाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
बाजार के विशेषज्ञों का अनुमान है कि वस्तु व सेवा कर का आउटफ्लो करीब 20 अक्टूबर से शुरू होगा। ऐसे में अगले दो हफ्तों तक नकदी की अधिशेष स्थिति रहेगी। एक अन्य डीलर ने कहा, ‘अगले दो सप्ताह तक नकदी अधिशेष रहनी चाहिए। फिर 19 और 20 अक्टूबर को जीएसटी का आउटफ्लो होगा और फिर इसमें गिरावट आएगी।’
दरअसल 29 जनवरी, 2020 के बाद 19 सितंबर को नकदी में गिरावट करीब 1.47 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई थी। इस दौरान बैंकिंग प्रणाली में तरलता घटकर 3 लाख करोड़ पर पहुंच गई थी। इस वित्त वर्ष में पहली बार नकदी गिरावट में चली गई थी।