इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना तकनीक (आईटी) मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंगलवार को कहा कि भारत की पहली सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन यूनिट की घोषणा आने वाले सप्ताहों में होगी। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) पार्टनरशिप समिट में बोलते हुए वैष्णव ने संकेत दिए कि और ज्यादा घोषणाएं की जाएंगी और कहा कि यह केवल शुरुआत है।
मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार विनिर्माण को प्रोत्साहित करने और हिस्सेदारों के साथ सक्रियता से काम करने की कवायद कर रही है। उन्होंने कहा, ‘आगामी 3 से 4 साल में भारत एक बेहतरीन सेमीकंडक्टर उद्योग का केंद्र बनने को तैयार है।’
सेमीकंडक्टर फैब एक विनिर्माण संयंत्र होता है, जिसमें रॉ सिलिकन वेफर्स को इंटीग्रेटेड सर्किट में बदला जाता है। भारत ऐसे समय में वैश्विक कंपनियों को आकर्षित करने के लिए अमेरिका, दक्षिण कोरिया और यूरोप के देशों से प्रतिस्पर्धा कर रहा है, जब प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं इस उद्योग को भारी सब्सिडी दे रही हैं।
वैष्णव ने कहा कि आज यहां इस्तेमाल होने वाले 99 प्रतिशत मोबाइल फोन मेड इन इंडिया हैं, जबकि 10 साल पहले स्थिति उल्टी थी, जब 100 फोन में से 99 प्रतिशत आयातित होते थे।
सेमीकंडक्टरों का घरेलू उत्पादन केंद्र सरकार का प्रमुख एजेंडा है, क्योंकि कोविड-19 के बाद इसकी आपूर्ति में व्यवधान आया है, जिसका असर ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग पर पड़ा।
पिछले सप्ताह अमेरिका और भारत ने सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला स्थापित करने और नवोन्मेष साझेदारी के लिए समझौता किया था, जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था में चिप्स के महत्त्व का पता चलता है।
वैष्णव ने कहा कि आत्मनिर्भर सेमीकंडक्टर केंद्र बनना एक बड़ा लक्ष्य है, लेकिन केंद्र सरकार इस दिशा में सफलता के लिए हर कदम उठाने को प्रतिबद्ध है।
रेलवे और टेलीकॉम मंत्रालय का भी कार्यभार संभाल रहे वैष्णव ने कहा कि 4जी और 5जी सेवाओं की कनेक्टिविटी अंतिम छोर तक पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा 45,000 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं।
रेलगाड़ियों में हाइपरलूप तकनीक के बारे में पूछे जाने पर वैष्णव ने कहा कि इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं, लेकिन हकीकत में यह तकनीक अभी कम से कम 7-8 साल दूर है।