शांघाई सहयोग संगठन के ऊर्जा मंत्रियों का समूह भविष्य के ईंधन पर करीबी सहयोग के लिए तैयार हो गया है। भविष्य के ईंधन में हाइड्रोजन, अमोनिया और जैव ईंधन जैसे एथनॉल आदि शामिल हैं। इस कदम से भारत के साथ चीन व रूस सहित अन्य संबंधित देश भविष्य के ईंधन की तकनीक, एनर्जी मॉडलिंग और संक्रमण लक्ष्यों को हासिल कर सकेंगे।
बैठक के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य के अनुसार, ‘‘संबंधित पक्षों ने यह स्वीकार किया कि भविष्य के ईंधन सरर्कुलर इकॉनमी को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। पर्यावरण पर कम से कम प्रभाव डालने वाले उच्च मूल्य के विपणन योग्य इन उत्पादों का उत्पादन कर जैविक संसाधनों पर आधारित भविष्य के ईंधन के संसाधनों का समुचित उपयोग किया जा सकता है।’’
यह समूह भविष्य के ईंधन के लिए विकास के लिए संयुक्त परियोजनाओं को बढ़ावा दिए जाने की संभावनाओं पर विचार करने के लिए सहमत हुआ। इसके तहत ईंधन का प्रमुख उत्पादन करने वाले और उपभोग करने वाले देशों को परस्पर जोड़ा जाएगा। इससे एनर्जी मॉडलिंग के क्षेत्र में सूचनाओं का बेहतर लेन-देन होगा।
शांघाई सहयोग संगठन देशों का राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा गठबंधन का समूह है। इसका नेतृत्व पहले रूस और चीन ने किया था। इसे मध्य एशिया क्षेत्र का सबसे महत्वपूर्ण बैठक कही जाती है। हालांकि अन्य देश व्यापार, कनेक्विटी स्थापित करने और संसाधनों का इस्तेमाल करने के लिए उत्सुक हैं। शांघाई सहयोग संगठन में चीन, भारत, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान हैं। इसकी अध्यक्षता सालाना आधार पर संबंधित देशों को एक एक करके दी जाती है। इसके तहत भारत ने बीते साल इसकी अध्यक्षता संभाली थी। भारत ने केवल छठे सम्मेलन में पूर्ण कालिक सदस्य के रूप में हिस्सा लिया है।
जैव ईंधन के लिए सहयोग करने वाले देश
शांघाई सहयोग संगठन की बैठक के बाद पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि इस संगठन के देशों ने एक बार की चर्चा के बजाए संबंधित राष्ट्रों के निरंतर जुड़ाव का विकल्प चुना है। इसका परिणाम यह हुआ कि समूह प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय जैव ईंधन गठबंधन पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार हो गया है। भारत ने इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाया है।
पुरी कह चुके हैं कि सितंबर में जी-20 की बैठक से पहले नई दिल्ली अपनी जैसी सोच वाले देशों के साथ औपचारिक रूप से वैश्विक गठबंधन बनाएगा। सरकार ने देश की ऊर्जा सुरक्षा को हासिल करने के लक्ष्य को आगे बढ़ाया है। इसके तहत आयात पर निर्भरता कम करना और जैविक ईंधन के लिए रणनीतिक भूमिका की परिकल्पना की गई है।