शनिवार की शाम 4 बजे भारत अपने अब तक के सबसे बड़े महत्त्वपूर्ण खगोलीय घटना का गवाह बनेगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सूर्य का अध्ययन करने के लिए देश के पहले अंतरिक्ष-आधारित मिशन आदित्य एल1 यान को पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर उसकी अंतिम गंतव्य कक्षा में स्थापित करने की तैयारी कर ली है। यह सूर्य का अध्ययन करने के लिए देश का पहला अंतरिक्ष मिशन है।
2 सितंबर 2023: श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से आदित्य-एल1 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया
3 से 15 सितंबर: अंतरिक्ष यान विभिन्न चरणों से होकर गुजरा
18 सितंबर: आदित्य-एल1 ने वैज्ञानिक आंकड़ों का संग्रह शुरू किया
19 सितंबर: सूर्य-पृथ्वी एल 1 पॉइंट की ओर बढ़ा
30 सितंबर: पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र से बाहर निकला
1 दिसंबर: आदित्य सोलर विंड पार्टिकल्स एक्सपेरिमेंट में सोलर विंड आयन स्पेक्ट्रोमीटर पेलोड चालू
8 दिसंबर: एसयूआईटी पेलोड ने पराबैंगनी तरंग दैर्ध्य के पास सूर्य की तस्वीरें निकालीं
6 जनवरी: आदित्य एल1 यान अंतिम गंतव्य कक्षा में पहुंचेगा
अंतरिक्ष यान पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज पॉइंट 1 (एल 1) के आसपास एक हेलो कक्षा में पहुंचेगा। एल1 पॉइंट’ की दूरी पृथ्वी और सूर्य के बीच की कुल दूरी के लगभग एक प्रतिशत है।
लैग्रेंज पॉइंट का नाम फ्रांस के गणितज्ञ जोसेफ-लुई लैग्रेंज के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने पहली बार 18वीं शताब्दी में उनका अध्ययन किया था। लैग्रेंज पॉइंट वह क्षेत्र है जहां पृथ्वी और सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण एक-दूसरे को संतुलित कर देंगे और संतुलन क्षेत्र बन जाएगा। इससे अंतरिक्ष यान के लिए ईंधन की खपत बहुत कम हो सकती है।
अमेरिका के बाद भारत ही ऐसा देश है जिसका अंतरिक्ष यान इस पॉइंट तक पहुंचा।