भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आभासी मुद्राओं (Cryptocurrency) को लेकर पहले ही कह दिया था कि वह एक नियामक के तौर पर इसका समर्थन नहीं करता है। इसके बाद सरकार ने इन मुद्राओं के संबंध में कोई ढिलाई नहीं बरती और आभासी परिसंपत्तियों के स्थानांतरण पर 30 प्रतिशत कर लगा दिया था। इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़े क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों पर छापेमारी की।
अब वित्त मंत्रालय भी हरकत में आ गया है। मंत्रालय ने डिजिटल आभासी परिसंपत्तियों (VDA) को धन शोधन निरोधक अधिनियम (PMLA) के तहत ला दिया है। मंत्रालय के इस निर्णय का सभी ने स्वागत किया है मगर VDA के निवेशकों को लग रहा है कि सरकार इन उपायों के जरिये कहीं न कहीं उन्हें इन परिसंपत्तियों में निवेश करने से रोकना चाह रही
है।
21 साल के एक क्रिप्टोकरेंसी निवेशक ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर बताया कि सरकार और नियामकों के लागातार हस्तक्षेप से निवेशकों के उत्साह पर असर हो रहा है। उन्होंने कहा कि अगर यह सिलसिला चलता रहा तो इन परिसंपत्तियों में निवेश करने वाले आगे नहीं आएंगे। इस निवेशक ने कहा, ‘मैंने अपना निवेश दूसरी साधनों में डाल दिया है। मैं क्रिप्टोकरेंसी पर अब दांव नहीं लगा सकता क्योंकि सरकार के कदमों से इनमें निवेश को लेकर जोखिम बढ़ता ही जा रहा है।’
एक दूसरे निवेशक ने कहा कि लोग क्रिप्टोकरेंसी में इसलिए निवेश कर रहे थे कि इनमें उन्हें किसी मध्यस्थ के सहारे की जरूरत नहीं पड़ती थी। उन्होंने कहा, क्रिप्टोकरेंसी की लोकप्रियता बढ़ती जा रही थी और अधिक से अधिक युवा निवेशक दांव खेल रहे थे। मगर अब ऐसा लगता है कि सरकार की ये नीतियां उत्साही निवेशकों को इन मुद्राओं से दूर ले जाएंगी। सरकार को भविष्य को ध्यान रखते हुए नीतियां बनानी चाहिए।
हालांकि उनका कोई भी कदम क्रिप्टोकरेंसी एवं आभासी परिसंपत्तियों में विश्वास को पुख्ता करता है तो इसका स्वागत किया जाना चाहिए। इस निवेशक ने कहा कि भारत सहित दुनिया के देशों में क्रिप्टोकरेंसी के अवैध कार्यों में इस्तेमाल की आशंका सताती रही है, इसलिए ऐसे उपायों से यह डर दूर होगा तो यह अच्छी बात होगी।
क्रिप्टोकरेंसी के निवेशकों का कहना है कि सरकार को ऐसी नीतियां बनानी चाहिए ताकि इन परिसंपत्तियों में लोगों का भरोसा लगातार बढ़ता रहे। निवेशकों के अनुसार इससे कम से कम निवेश के एक साधन के तौर पर तो क्रिप्टोकरेंसी एवं अन्य आभासी मुद्राओं को लेकर लोगों का विश्वास बढ़ेगा।
मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार आभासी डिजिटल मुद्राओं और फिएट करेंसी के बीच लेनदेन, आभासी मुद्राओं के एक या एक से अधिक रूपों में लेनदेन और डिजिटल पसिसंपत्तियों का हस्तांतरण धन शोधन निरोधक कानून के प्रावधानों की जद में आएगा।
इस अधिसूचना के बाद क्रिप्टोकरेंसी एवं आभासी मुद्राओं की आड़ में अगर किसी तरह की वित्तीय अनियमितताओं को अंजाम दिया जाता है तो प्रवर्तन निदेशालय इसकी जांच करेगा। वित्त मंत्रालय में राजस्व विभाग के तहत काम करने वाला फाइनैंशियल इंटेलीजेंस यूनिट पर ऐसे वित्तीय लेनदेन से जुड़ी सूचनाओं के आधार पर आगे का कार्रवाई करने की जिम्मेदारी होगी।
क्रिप्टोकरेंसी उद्योग के एक प्रतिनिधि ने कहा, किसी संदेहास्पद वित्तीय लेनदेन का लेखा-जोखा रखने और इसकी जानकारी देने की जिम्मेदारी VDA प्लेटफॉर्म के पास होगी। इस तरह, परिचालन के लिहाज से जो लोग नो योर कस्टमर (KYC) का पालन कर रहे थे उनसे विशेष अंतर नहीं ला पाएंगे।
मगर इसके लिए एक टीम की जरूरत होगी जिन्हें वित्तीय लेनदेन पर निगरानी रखनी होगी। इस उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि कम से कम इससे क्रिप्टोकरेंसी को लेकर एक ढांचा तैयार हो जाएगा जिससे यह अधिक सुरक्षित समझी जाने लगेंगी। कॉयनस्विच के सह-संस्थापक के आशिष सिंघल ने कहा कि इससे आभासी डिजिटल परिसंपत्तियों का गलत इस्तेमाल रोका जा सकेगा।