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वाहन: चीन से निर्भरता घटाना आसान नहीं

Last Updated- December 15, 2022 | 9:17 AM IST

चीन में निर्मित उत्पादों का बहिष्कार करने और चीन के बगैर व्यवसाय करने के आह्वान से भारत में वाहन निर्माताओं और कलपुर्जा निर्माताओं की बेचैनी बढ़ गई है। मौजूदा हालात को लेकर इन निर्माताओं की प्रतिक्रिया इसका संकेत है कि इससे चीन पर काफी हद तक निर्भर यह उद्योग प्रभावित हो सकता है, क्योंकि यह द्वीप देश लागत और गति के संदर्भ में ज्यादा प्रतिस्पर्धी बढ़त बनाए हुए है। ईवाई इंडिया के अनुमान के अनुसार, भारत का 120 अरब डॉलर का वाहन उद्योग अपनी सालाना जरूरत का 8-20 फीसदी हिस्सा चीन से खरीदता है।
बजाज ऑटो के प्रबंध निदेशक राजीव बजाज का कहना है, ‘गति और लागत के संदर्भ में चीन प्रतिस्पर्धी बढ़त की पेशकश करता है। हालांकि इसके विकल्प तलाशना संभव है और मौजूदा समय में भी स्थानीय तौर पर उत्पादन होता है, लेकिन चीन से निर्भरता समापत करना एक लंबी चलने वाली रणनीति होगी और यह कार्य रातोंरात नहीं हो सकता।’
उन्होंने कहा, ‘एक वैश्विक कंपनी के तौर पर हमें इस प्रयास में दुनियाभर के बाजारों से अनुभव हासिल करने की जरूरत है। यह मायने नहीं रखता कि हम क्या बना रहे हैं या बेच रहे हैं।’
बजाज ऑटो और उसके आपूर्तिकर्ता चीन से करीब 1000 करोड़ रुपये मूल्य के अलॉय व्हील्स और ट्रांसमिशन कलपुर्जे जैसे सामान खरीदते हैं।
उद्योग के अधिकारियों का कहना है कि 10 फीसदी शुल्क और ऊंची लॉजिस्टिक लागत के बावजूद चीन से खरीदारी भारत में समान कलपुर्जे के निर्माण पर आने वाली लागत से सस्ती है और इससे कंपनियों को औसत तौर पर 12-15 फीसदी की बचत में मदद मिलती है।
वाहन कलपुर्जा निर्माताओं के संगठन (एसीएमए) के अध्यक्ष दीपक जैन ने कहा, ‘उद्योग के तौर पर हमें बेहद संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है और हम त्वरित प्रतिक्रिया का सहारा नहीं लेंगे।’ एक बड़ी वाहन कंपनी के अधिकारी ने कहा, ‘त्वरित प्रतिक्रिया से चीन को नहीं बल्कि हमें ही नुकसान होगा।’
जैन ने कहा कि भारत के वाहन कलपुर्जा उद्योग का आयात सालाना 17 अरब डॉलर का है जिसमें करीब 4.5 अरब डॉलर या 27 फीसदी चीन से आता है। उन्होंने कहा, ‘हालांकि हमें आत्मनिर्भर बनने की जरूरत है, लेकिन यह एक लंबी यात्रा है।’
जनवरी में चीन में कोविड-19 के प्रसार से भी किसी एक क्षेत्र पर ज्यादा निर्भर रहना खतरनाक हो गया है। तब से कई कंपनियां जोखिम घटाने की रणनीति पर काम कर रही हैं। इसलिए सभी कंपनियां अब ‘चाइना प्लस वन स्ट्रेटेजी’ पर जोर दे रही हैं। एक वाहन कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं बताने के अनुरोध के साथ कहा कि दूसरा आपूर्तिकर्ता स्रोत विकसित करना बड़ी जरूरत होगी, क्योंकि सिर्फ एक स्रोत से खरीदारी जोखिम से भरी होती है। कई कंपनियां दो स्रोतों – दो अलग अलग देशों से खरीदारी की संभावना तलाश रही हैं।

First Published - June 22, 2020 | 12:51 AM IST

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