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Toyota की मांग, हाइब्रिड वाहन पर भी हो पेट्रोल वाहन जितना ही टैक्स

टोयोटा इंडिया ने 2022 में रिकॉर्ड बिक्री की और 2023 में कंपनी को इसमें और भी इजाफा होने की उम्मीद है।

Last Updated- January 12, 2023 | 10:15 PM IST
August Auto Sales

भारतीय वाहन उद्योग में इस समय इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) का सबसे ज्यादा शोर चल है मगर जापानी कंपनी टोयोटा ऐसे समय में भी केवल ईवी को कार्बन कटौती का विकल्प मानने के बजाय अल्टरनेट फ्यूल पर जोर दे रही है।

सेमीकंडक्टर और दूसरे कच्चे माल की आपूर्ति में आई रुकावट दूर होने के बाद Toyota India ने 2022 में रिकॉर्ड बिक्री की और 2023 में कंपनी को इसमें और भी इजाफा होने की उम्मीद है।

मगर टोयोटा किर्लोस्कर मोटर के कंट्री हेड और एक्जेक्युटिव वाइस प्रेसिडेंट (कॉरपोरेट अफेयर्स) विक्रम गुलाटी का कहना है कि ग्रीन एनर्जी पर जोर के इस दौर में कंपनी इलेक्ट्रिक वाहन के पीछे भागने के बजाय एथनॉल तथा हाइड्रोजन जैसे अल्टरनेट फ्यूल और हाइब्रिड वाहनों पर भी ध्यान देना चाहती है।

गुलाटी ने ग्रीन एनर्जी पर कंपनी की रणनीति, हाइब्रिड वाहन और सरकारी नीतियों पर ऋषभ कृष्ण सक्सेना के साथ विस्तार से बात की। मुख्य अंश:

भारत में तमाम वाहन कंपनियां ईवी पर जोर दे रही हैं मगर टोयोटा इसके बारे में बहुत उत्साहित नहीं दिख रही। इस बारे में आपका इरादा क्या है?

इलेक्ट्रिक वाहनों से टोयोटा को कोई परहेज नहीं है। वैश्विक स्तर पर हमारे पास पहले से ही ईवी मौजूद हैं। मगर किसी भी देश में कौन सी तकनीक उतारनी है, यह वहां की परिस्थितियों पर निर्भर करता है। भारत में तेल का आयात कम करने और कार्बन उत्सर्जन घटाने के लिए ईवी लाने की बात कही जा रही है। मगर इस समय बैटरी भी विदेश से ही आ रही हैं तो तेल का आयात घटाने के लिए बैटरी का आयात शुरू करना कौन सी समझदारी है? कुल मिलाकर उसके बाद भी हम आयात पर ही निर्भर रहेंगे।

दूसरा पहलू कार्बन उत्सर्जन घटाने का है तो एथनॉल इस मोर्चे पर कम नहीं है। कई तरह के पौधों यहां तक कि पराली से भी एथनॉल बनाया जा सकता है। अगर हम पेट्रोल में एथनॉल ज्यादा मिलाएंगे तो कार्बन कम होगा और गाड़ी के धुएं से निकला कार्बन वापस पौधा अपनी जरूरत के लिए ले लेगा। इससे अच्छा जीरो कार्बन लक्ष्य क्या हो सकता है। इसी तरह हाइड्रोजन सेल की भी बात है। उसे जब चाहो बिजली में तब्दील कर लो और वाहन चलाओ। टोयोटा केवल इलेक्ट्रिक वाहन के बजाय स्वच्छ ईंधन की इन सब तकनीकों पर जोर देती है और मानती है कि भारत जैसे देश में इन सभी का एक साथ इस्तेमाल होना चाहिए।

इसका मतलब है कि अभी इलेक्ट्रिक वाहन की तकनीक भारत लाने में आपकी ज्यादा दिलचस्पी नहीं है…

नहीं। ऐसा नहीं है। हम स्वच्छ तकनीक चाहते हैं। इस समय भारत में 70 फीसदी बिजली कोयले से बन रही है और उसके उत्पादन में कार्बन उत्सर्जन बहुत अधिक होता है। 2050 तक पूरे वाहन के जीवन चक्र को शून्य कार्बन उत्सर्जन वाला और रीसाइक्लेबल बनाने की राह भारत में इससे नहीं आएगी। इसके बजाय हम हाइब्रिड वाहन ला रहे हैं, जिनमें पेट्रोल से गाड़ी चलते समय ही बैटरी चार्ज हो जाती है और बाहर से बिजली नहीं लेनी पड़ती। इससे रेंज की समस्या यानी गाड़ी बीच में ही बंद हो जाने का डर भी खत्म हो जाएगा। एथनॉल यानी फ्लेक्स फ्यूल और हाइड्रोजन सेल के साथ यह भी कार्बन उत्सर्जन कम करने वाला विकल्प है। इसीलिए सरकार भी इन सभी को बढ़ावा दे रही है। भारत में यूं भी ईवी की कुल बिक्री में 1 फीसदी के आसपास ही हिस्सेदारी है। ज्यादातर ईवी दोपहिया और तिपहिया श्रेणियों में बिक रहे हैं। जहां तक कार की बात है तो हम मानते हैं कि सरकार को सभी वैकल्पिक तकनीकों को बढ़ावा देना चाहिए।

अगर आपको लगता है कि हाइब्रिड वाहन इतने सुविधाजनक हैं तो आप सरकार से उन पर कर रियायत की मांग क्यों नहीं करते ?

देखिए, हाइब्रिड वाहन तो फेम योजना में हैं, जिसका उन्हें फायदा मिलता है। यहां सरकार की तारीफ करनी होगी कि वह हाइब्रिड को बढ़ावा दे रही है। उसने इस तकनीक को पीएलआई योजना में भी शामिल किया है। मगर जीएसटी की दर कुछ दिक्कत कर रही है। सामान्य वाहन की ही तरह हाइब्रिड पर भी 28 फीसदी जीएसटी लगता है। मगर उस पर 15 फीसदी उपकर जोड़कर कुल दर 43 फीसदी हो जाती है, जिससे मामला बिगड़ जाता है। इस तरह यह गाड़ी पेट्रोल-डीजल गाड़ी से महंगी पड़ने लगती है। हमारी सरकार से गुजारिश है कि इन पर जीएसटी सामान्य कारों की तरह ही लें। कम नहीं कर सकते तो कम से कम बराबर तो रखें।

इलेक्ट्रिक वाहनों के कच्चे माल की लागत भी समस्या बन रही है। आपको क्या लगता है?

ज्यादातर वस्तुओं के लिए कमोडिटी की कीमतें कुछ घटी हैं मगर ज्यादा मांग और व्यवधान के कारण इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए कच्चा माल महंगा हुआ है। लीथियम और जरूरी धातुओं के दाम आगे भी ऊंचे रह सकते हैं, जिसका असर आगे भी रहेगा। चीन में अर्थव्यस्था पटरी पर आने से इन सभी की मांग और भी बढ़ जाएगी, जिसका असर दिखेगा।

आपकी बिक्री 2022 में करीब 20 फीसदी बढ़ गई। 2023 के लिए आपका क्या अनुमान है ?

मुझे लगता है कि पूरे उद्योग के लिए बाजार बेहतर हुआ है। आपूर्ति पहले से बेहतर हुई है। टोयोटा हाईक्रॉस तो अभी बाजार में नहीं आई है मगर हाईराइडर बेहद सफल रही है। अपने उत्पादों और उन पर ग्राहकों की प्रतिक्रिया तथा बुकिंग देखकर हमें लगता है कि 2023 और भी बेहतर आंकड़े देगा।

First Published - January 12, 2023 | 10:15 PM IST

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