देश की दिग्गज कार विनिर्माता मारुति सुजूकी ने भारत में छोटी कारों की मांग में सुधार के लिए सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग की है। कंपनी ने आज कहा कि किफायती और ऋण मिलने में हो रही कठिनाइयों के कारण मांग में सुधार नहीं हो रहा है। इससे लोगों को दोपहिया से चार पहिया वाहन खरीदने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
इसके अलावा कंपनी ने कहा कि उसे चीन द्वारा चुम्बकों के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध का तुरंत कोई असर नहीं दिख रहा है। महीने के दौरान कंपनी की अल्टो, एस-प्रेसो जैसी छोटी कारों की बिक्री में एक साल पहले के मुकाबले भारी भरकम 31.5 फीसदी की गिरावट आई है। कंपनी ने पिछले साल 9,902 गाड़ियों की बिक्री की थी, जो इस साल घटकर 6,776 रह गई।
मारुति सुजूकी के सेल्स ऐंड मार्केटिंग प्रमुख पार्थ बनर्जी ने कहा, ‘सरकार को यह समझना चाहिए कि लोग दोपहिया से चार पहिया वाहनों में अपग्रेड नहीं हो पा रहे हैं। सरकार को कोई उपाय निकालना होगा। अगर हम बड़ी और छोटी कारों को एक ही स्तर पर रखेंगे तो किफायती होना प्रमुख मुद्दा बन जाएगा।’
बनर्जी ने कहा कि कंपनी को छोटी कारों के लिए पूछताछ में कोई गिरावट नहीं नजर आ रही है मगर इस श्रेणी के संभावित ग्राहकों के पास सामर्थ्य और ऋण बाधाओं के कारण इसे खरीदना चिंता का कारण है। कंपनी ने कहा कि इन कारों में शामिल किए गए अतिरिक्त नए फीचर के कारण हाल के वर्षों में इनकी कीमतें बढ़ गई हैं।
उद्योग ने जानकारों का कहना है कि शुरुआती स्तर की कार खरीदार की औसत हर महीने की आमदनी 65,000 से 75,000 रुपये के बीच है, जबकि एसयूवी खरीदने वाले हर महीने औसतन 75,000 से 90,000 रुपये कमा रहे हैं। नौकरी बाजार में धीमी वृद्धि ने भी इस श्रेणी को प्रभावित किया है।