दूरसंचार विभाग (डीओटी) के अधिकारियों ने बुधवार को कहा कि भारत ने आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) से जुड़े दूरसंचार नेटवर्कों के निर्माण के लिए शोध को बढ़ावा देने और दिशा-निर्देश तैयार करने की योजना बनाई है। इंटरनैशनल टेलीकम्युनिकेशंस यूनियन (आईटीयू) के एक कार्यक्रम में बोलते हुए अधिकारियों ने कहा कि भारत ने नेटवर्क आर्किटेक्चर में एआई-को जोड़ने पर, खासकर 6जी के लिहाज से, आईटीयू के साथ काम शुरू कर दिया है।
दूरसंचार विभाग में सलाहकार (टेक्नोलॉजी) शुभेंदु तिवारी ने कहा, ‘एआई से जुड़े नेटवर्क पर फोकस ग्रुप कई प्रमुख उद्देश्यों पर ध्यान देगा, नेटवर्क आर्किटेक्चर में एआई को जोड़ने पर रिसर्च करेगा, उपयोग के नए मामलों की पहचान करेगा, चुनौतियों और कमियों का समाधान निकालेगा, अन्य मानक विकास संगठनों और उद्योग समूहों के साथ मिलकर एआई नेटवर्किंग के लिए एक जैसा दृष्टिकोण सुनिश्चित करेगा।’ एआई नेटिव नेटवर्क आर्किटेक्चर में कंट्रोल और यूजर प्लेन, दोनों पर नेटवर्क फंक्शन का एक बड़ा हिस्सा एआई से संचालित होता है। यह टेक्नोलॉजी कोर आर्किटेक्चर से जुड़ी होती है जो ऑटोमेशन, ऑप्टिमाइजेशन और इंटेलिजेंस को सक्षम बनाती है।
अधिकारियों का मानना है कि ये नेटवर्क रियल टाइम ट्रैफिक मैनेजमेंट को सक्षम बनाएंगे, जो व्यस्तता के दौरान इमरजेंसी कॉल को प्राथमिकता देता है, साथ ही अपनी तरफ से खुद मेंटेनेंस भी सुनिश्चित करेगा, जिससे खराबी आने से पहले खराब राउटर को ठीक किया जा सके। रात में बिना उपयोग वाले संसाधनों को ऑटोमेटिक रूप से बिजली डाउन करके ऊर्जा की बचत करना भी एक अन्य पहलू है।
पिछले साल अक्टूबर में दिल्ली में हुई ‘वर्ल्ड टेलीकॉम स्टैंडर्डाइजेशन असेंबली’ में भारत के जोर दिए जाने के बाद आईटीयू ने एआई पर एक महत्त्वपूर्ण प्रस्ताव अपनाया था। आईटीयू सूचना और संचार टेक्नोलॉजी (आईसीटी) के लिए संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी है।
दूरसंचार विभाग के तहत टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग सेंटर (टीईसी) वैश्विक मानकों को विकसित करने के लिए आईटीयू में सक्रिय रूप से योगदान दे रहा है और डीओटी में उप महानिदेशक (अंतरराष्ट्रीय संबंध) अविनाश अग्रवाल ने कहा कि उसने एआई में निष्पक्षता का आकलन करने के लिए दुनिया के पहले मानकों में से एक तैयार कर लिया है।