इंस्टाग्राम की नीति प्रमुख नताशा जोग ने कहा कि भारत में फैक्ट चेकर्स की सबसे बड़ी तादाद के साथ मेटा के सभी प्लेटफॉर्म के लिए गलत सूचनाओं से निपटना उनकी मूल नीति रही है। भारत में मेटा पर 15 भाषाओं में सामग्री के लिए 11 स्वतंत्र फैक्ट चेकर्स काम करते हैं।
जोग ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कहा, ‘बाल यौन शोषण, बदमाशी व उत्पीड़न, हेट स्पीच, मतदाताओं को प्रभावित करने आदि को हमारे प्लेटफॉर्म पर बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाता है। हमारे साझेदार लगातार हमें बताते हैं कि जमीनी स्तर पर क्या हो रहा है और वे हमें विभिन्न सामाजिक जटिलताओं के बारे में सचेत भी करते हैं। इसलिए हमारा प्रवर्तन बिल्कुल साफ होता है। हम दुनिया भर के लोगों से सलाह करने के बाद अपनी नीति तैयार करते हैं।’
जोग ने कहा कि मेटा के स्वामित्व वाले प्लेटफॉर्म के लिए फैक्ट-चेकिंग और समुदाय मानकों का ढांचा लगातार विकसित होता रहता है। इसके लिए कंपनी अपने साझेदारों, नागरिक समाज के समूहों, शिक्षाविदों और गैर-सरकारी संगठनों के साथ विचार-विमर्श करती है।
मेटा ने अंतरराष्ट्रीय सुरक्षित इंटरनेट दिवस के अवसर पर 7 फरवरी को जी20 स्टे सेफ ऑनलाइन कैंपेन के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ अपनी भागीदारी की घोषणा की। इस कार्यक्रम को #डिजिटलसुरक्षा नाम दिया गया है। इसमें ऑनलाइन धोखाधड़ी से निपटने, नुकसानदेह सामग्री की रिपोर्ट करने और अन्य ऑनलाइन सुरक्षा उपायों के लिए वीडियो संदेशों के साथ एक जागरूकता अभियान शामिल होगा। मेटा पूरे साल इस अभियान में शिरकत करती रहेगी।
मेटा के पास फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप जैसे लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों का स्वामित्व है। उसने बाल यौन शोषण संबंधी सामग्रियों की शेयरिंग की रोकथाम और ऐसी सामग्रियों के बारे में जानकारी देने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से एक जागरूकता अभियान भी शुरू किया है।
इसके तहत उपयोगकर्ताओं को बाल यौन शोषण संबंधी सामग्रियों के नुकसान और पीड़ित पर उसके प्रभाव के बारे में जानकारी दी जाएगी। साथ ही लोगों को ऐसी किसी भी सामग्री के बारे में फेसबुक को तत्काल सूचित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। कंपनी ने कहा कि उसने विभिन्न आयु वर्ग के लिए उपयुक्त उपायों और टूल्स पर काफी निवेश किया है ताकि उसके प्लेटफॉर्म पर सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।