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केंद्र सरकार डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम और नियम के विभिन्न पहलुओं के अनुपालन की समयसीमा को मौजूदा 18 महीनों से कम करने के वास्ते उद्योग और अन्य हितधारकों के साथ चर्चा कर रही है। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोमवार को यह जानकारी दी है।
वैष्णव ने कहा, ‘हमने जो नियम जारी किए हैं उनके लिए एक मियाद तय की गई है, जो इस उद्योग की मांग और हमारे जोर पर निर्भर था। हम समयसीमा को और घटाने के लिए उद्योग के साथ संपर्क कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने उद्योग और अन्य हितधारकों से कहा है कि चूंकि उनके पास विभिन्न इलाकों में जारी किए गए नियमों का पालन करने के लिए अनुपालन ढांचा है, इसलिए उन्हें भारत में भी इसे लागू करने में सक्षम होना चाहिए।
इस महीने की शुरुआत में 14 नवंबर को सरकार ने डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (डीपीडीपी) अधिनियम के तहत प्रशासनिक नियमों को अधिसूचित किया था। इसके साथ ही भारत भी उन चुनिंदा देशों की जमात में शामिल हो गया था, जिनके पास एक संघीय डिजिटल व्यक्तिगत डेटा गोपनीयता व्यवस्था है।
डीपीडीपी नियमों की अधिसूचना भारत के गोपनीयता कानून की परिकल्पना के करीब 15 साल बाद लागू हो रही है।
नए नियम इंटरनेट और सोशल मीडिया मध्यस्थ के साथ-साथ उपयोगकर्ताओं के डिजिटल डेटा को संभालने वाली सभी अन्य कंपनियों को अधिनियम के तहत प्रशासनिक दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए 18 महीने तक का समय देता है। नियमों के अनुसार, कंसेंट मैनेजर के पास उपयोगकर्ताओं की ओर से कार्य करने के लिए 12 महीने का समय होगा।
नए नियमों के तहत इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सभी डेटा फिड्युशरी को बिल्कुल स्पष्ट और सरल भाषा में डेटा प्रिंसिपल से सहमति लेना अनिवार्य किया है।