रेटिंग एजेंसी इक्रा ने चेतावनी दी है कि खासतौर पर इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) ट्रैक्शन मोटर्स और पावर स्टीयरिंग सिस्टम के कलपुर्जों में इस्तेमाल दुर्लभ मैग्नेटों का भंडार एक महीने बाद खत्म हो सकता है। भारत में दुर्लभ मैग्नेट आयात का लगभग 85 प्रतिशत हिस्सा चीन से आता है। चीन ने इस पर निर्यात प्रतिबंध लगा दिए हैं। इस कारण उद्योग के हितधारक आपूर्ति के गंभीर संकट की आशंका जता रहे हैं जिससे वाहन उत्पादन बाधित (खासकर तेजी से बढ़ते ईवी सेगमेंट में) हो सकता है।
यह आशंका शिपमेंट में कई हफ्तों की देरी के कारण जताई गई है। अप्रैल में चीनी अधिकारियों के नए लाइसेंसिंग नियम लागू करने और निरीक्षण तेज करने के साथ ही यहदेरी बढ़ने लगी थी। कस्टम क्लियरेंस में बहुतज्यादा कमी आई है जिससे शिपिंग टाइमलाइन और भविष्य में इसकी उपलब्धता को लेकर अनिश्चितता हो गई है।
इक्रा में कॉरपोरेट रेटिंग्स के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और समूह प्रमुख जितिन मक्कड़ ने कहा, ‘दुर्लभ मैग्नेट की आपूर्ति का झटका, खासकर ईवी उद्योग और महंगे यात्री वाहनों के लिए गंभीर चिंता का मसला है।’ उन्होंने कहा, ‘दुर्लभ मैग्नेट, विशेष रूप से नियोडिमियम-आयरन-बोरॉन (एनडीएफईबी), उच्च दक्षता वाली ट्रैक्शन मोटर्स और अन्य उन्नत ऑटोमोटिव सिस्टम के लिए जरूरी हैं। जुलाई के मध्य तक इस इन्वेंट्री खत्म हो जाने की आशंका के कारण आकस्मिक योजना जरूरी हो गई है।’
एक और रेटिंग एजेंसी- क्रिसिल ने भी इसे वाहन आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए बड़ा भारी जोखिम करार दिया है। उसके अनुमान के अनुसार मौजूदा प्रतिबंधों से पैदा हुई समस्या अगर अगले दो महीने में नहीं सुलझाई गई तो तिमाही में ईवी उत्पादन 6-7 प्रतिशत तक प्रभावित हो सकता है। भारत ने वित्त वर्ष 2025 में लगभग 20 करोड़ डॉलर मूल्य के दुर्लभ मैग्नेट का आयात किया, जिसका अधिकांश हिस्सा वाहन और औद्योगिक इस्तेमाल में काम आया था।
हालांकि व्यापार मूल्य अपेक्षाकृत कम है, लेकिन इन विशेष कंपोनेंट्स के लिए चीन पर रणनीतिक निर्भरता अब सुर्खियों में है। अकेले इलेक्ट्रिक दोपहिया में मोटर की लागत 8,000 रुपये से 15,000 रुपये के बीच आती है और दुर्लभ मैग्नेट का मोटर की लागत में करीब 30 फीसदी हिस्सा होता है। मौजूदा संकट ने दुर्लभ धातुओं की प्रोसेसिंग और एडवांस्ड मैग्नेट निर्माण में घरेलू क्षमताओं बनाने की जरूरत को बढ़ा दिया है।