आजकल चैटबॉट और बड़े भाषा मॉडल (LLM) हर सवाल का जवाब दे रहे हैं। चाहे कोडिंग की उलझन हो या मेडिकल डायग्नोसिस की पेचीदगी। लेकिन क्या होगा अगर AI भी इंसानों की तरह बूढ़ा होने लगे? दिसंबर 2024 में BMJ जर्नल में छपी एक स्टडी में ऐसा ही चौंकाने वाला दावा किया गया है। रिसर्च के मुताबिक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) भी समय के साथ कमजोर हो सकता है, जैसे इंसानों का दिमाग उम्र के साथ धीमा होने लगता है।
कैसे पता चला AI की याददाश्त हो रही है कमजोर?
शोधकर्ताओं ने ChatGPT-4, ChatGPT-4o (OpenAI), Claude 3.5 (Anthropic) और Gemini 1.0 व 1.5 (Alphabet) जैसे टॉप AI मॉडल्स की मानसिक क्षमता (cognitive abilities) का टेस्ट किया। इसके लिए Montreal Cognitive Assessment (MoCA) नाम का मशहूर टेस्ट अपनाया गया, जो इंसानों में डिमेंशिया और मानसिक गिरावट को पकड़ने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
नतीजे हैरान करने वाले थे:
MoCA टेस्ट में AI कैसे हुआ फेल?
MoCA टेस्ट में कई टास्क होते हैं, जैसे:
क्या AI को भी लग सकता है ‘डिमेंशिया’?
स्टडी में बताया गया कि AI की ये मानसिक कमज़ोरियां ‘posterior cortical atrophy’ नामक अल्जाइमर के एक प्रकार से मिलती-जुलती हैं। मतलब, जैसे उम्र के साथ इंसानों का दिमाग कमजोर होता है, वैसे ही AI मॉडल्स भी धीरे-धीरे आउटडेटेड हो सकते हैं।
तो क्या AI डॉक्टरों की जगह ले सकता है?
स्टडी में साफ कहा गया कि AI से डॉक्टरों की नौकरी जाने वाली अफवाहें फिलहाल फिजूल हैं। रिसर्चर्स का मानना है कि मेडिकल फील्ड में AI पर पूरी तरह भरोसा करना खतरनाक हो सकता है, क्योंकि इसकी मानसिक सीमाएं इसे इंसानी दिमाग जितना परफेक्ट नहीं बनने देंगी।
हालांकि, वैज्ञानिक मानते हैं कि भविष्य में AI और स्मार्ट हो सकता है, लेकिन इंसानों जैसी समझ शायद ही कभी हासिल कर पाएगा।
तो क्या वाकई AI ‘बूढ़ा’ हो सकता है?
आखिर में रिसर्चर्स ने एक जरूरी बात कही, AI में ‘मानसिक गिरावट’ कहना सिर्फ एक मजाकिया metaphor है, सच में इसका दिमाग खराब नहीं हो सकता। लेकिन हां, समय के साथ यह पुराने वर्जन्स की तरह धीमा और कम भरोसेमंद जरूर हो सकता है।