दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को जेनसोल इंजीनियरिंग और राइड हेलिंग स्टार्टअप ब्लूस्मार्ट द्वारा ऋणदाता एसटीसीआई फाइनैंस को गिरवी रखे गए 129 इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को जब्त करने और उन्हें स्थानांतरित करने का आदेश दिया। गिरवी रखने का मतलब है किसी संपत्ति (जैसे कार या शेयर) को ऋणदाता को स्वामित्व या कब्ज़ा हस्तांतरित किए बिना ऋण के लिए जमानत के रूप में उपयोग करना।
एसटीसीआई ने आरोप लगाया है कि जेनसोल और ब्लूस्मार्ट ने 15 करोड़ रुपये के कर्ज भुगतान में चूक की और वह गैरकानूनी तरीकों से वाहनों को निपटाना चाहती थी। एसटीसीआई ने अपने आवेदन में कमर्शियल कोर्ट्स ऐक्ट 2015 की धारा 12 ए के तहत मध्यस्थता से छूट मांगी है।
न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने गुरुवार 8 मई को अपने आदेश में जेनसोल और ब्लूस्मार्ट को वाहनों पर कोई भी थर्ड पार्टी अधिकार बनाने से रोक दिया। संपत्ति के नुकसान के तत्काल जोखिम का हवाला देते हुए न्यायालय द्वारा नियुक्त रिसीवर ने वाहनों को अपने कब्जे में ले लिया और उन्हें उनके रखरखाव और चार्जिंग की व्यवस्था करने के लिए अधिकृत किया।
आदेश में कहा गया है, सिद्धांत रूप से मामला वादी (एसटीसीआई) के पक्ष में है क्योंकि अगर वाहनों का कब्जा सुरक्षित नहीं किया जाता है और प्रतिवादी संख्या 1 (जेनसोल) तीसरे पक्ष के हक में उक्त वाहनों का निपटान कर देता है तो वादी को नुकसान हो सकता है। जेनसोल ने 129 वाहनों को खरीदने के लिए 19 अक्टूबर, 2023 के ऋण सुविधा समझौते के तहत एसटीसीआई से 15 करोड़ रुपये का इक्विपमेंट टर्म लोन हासिल किया था। इस कर्ज को प्रवर्तक पुनीत सिंह जग्गी और अनमोल सिंह जग्गी की ओर से एक करार और व्यक्तिगत गारंटी के माध्यम से सुरक्षित किया गया था। दो सप्ताह के भीतर दायर की गई यह पांचवीं याचिका है, जिसमें जेनसोल और ब्लूस्मार्ट को अपने ईवी पर तीसरे पक्ष का अधिकार बनाने से रोकने की मांग की गई है। अब तक अदालत ने उन्हें 619 ईवी पर तीसरे पक्ष के अधिकार बनाने से रोका है।