उत्पादन-आधारित रियायत (पीएलआई) योजना की कमजोर शुरुआत को लेकर सरकार में बढ़ती चिंताओं के बीच भारी उद्योग मंत्रालय ने कहा है कि उसने ऑटोमोबाइल और वाहन कलपुर्जा उद्योग (पीएलआई-ऑटो) के लिए अपनी 25,938 करोड़ रुपये की पीएलआई योजना के तहत डोमेस्टिक वैल्यू एडीशन (डीवीए) प्रमाणन के संबंध में 23 आवेदन प्राप्त किए हैं।
वाहन उन पांच क्षेत्रों में से एक है जिनमें पीएलआई योजना के क्रियान्वयन में धीमी प्रगति दर्ज की गई है। सरकार का मानना है कि मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) द्वारा प्रमाणन के लिए आवेदन किए जाने से जल्द रियायत वितरण शुरू होने की उम्मीद है। भारी उद्योग मंत्रालय (एमएचआई) में संयुक्त सचिव हनीफ करेशी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘अब तक, हमें कंपनियों से 23 आवेदन मिले हैं। रियायत वितरण भी जल्द शुरू कर दिया जाएगा, क्योंकि मंत्रालय त्रैमासिक प्रोत्साहन भुगतान के विकल्प पर विचार कर रहा है।’
ये आवेदन महिंद्रा ऐंड महिंद्रा, टाटा मोटर्स, ओला इलेक्ट्रिक, अशोक लीलैंड और टोयोटा किर्लोस्कर ऑटो पार्ट्स से आए हैं। पांच में से चार आवेदक चैंपियन ओईएम का हिस्सा हैं। टोयोटा किर्लोस्कर ऑटो पार्ट्स ने कम्पोनेंट चैंपियंस सेगमेंट के तहत प्रमाणन के लिए आवेदन किया था। सरकार आगामी महीनों में अतिरिक्त 35 आवेदन प्राप्त होने की उम्मीद कर रही है। कुरेशी ने कहा कि इसके अलावा, अन्य 37 आवेदन इस वित्त वर्ष में डीवीए प्रमाण के लिए आ सकते हैं।
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मंत्रालय के आंकड़े से खुलासा हुआ है कि चैंपियन ओईएम में 22 आवेदनों के साथ टाटा मोटर्स सबसे आगे है। एमऐंडएम ने 5, ओला इलेक्ट्रिक और टीवीएस ने 2-2 आवेदन किए हैं। प्रमुख दोपहिया निर्माता बजाज से एक आवेदन मिला है। कम्पोनेंट चैंपियंस श्रेणी में, सात आवेदकों से 26 आवेदन मिलने की संभावना है।
ये घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब कई वाहन निर्माताओं ने डीवीए गणना के संबंध में योजना के दिशा-निर्देशों के अनुपालन में समस्या को लेकर चिंता जताई है। वाहन उद्योग की कंपनियों का दावा है कि सरकार द्वारा स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) जारी करने में विलंब और कच्चे माल की आपूर्ति के संबंध में जानकारी देने की जटिल प्रक्रिया ने इस योजना की सफलता को प्रभावित किया है।
एमएचआई ने संबद्ध प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए इस साल 27 अप्रैल को ऑटो पीएलआई एसओपी की शुरुआत की थी।