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लेख

जनवरी में उपभोक्ता धारणा में सुधार के मिल रहे संकेत

दिसंबर में फिसलने के बाद जनवरी में उपभोक्ताओं की धारणा में सुधार के संकेत मिल रहे हैं। लगातार पांच महीनों तक चढऩे के बाद दिसंबर 2021 में उपभोक्ता सूचकांक नीचे लुढ़क गया था और 57.6 (सितंबर-दिसंबर 2015 के 100 के आधार पर) तक सिमट कर रह गया था। इससे पहले यह जून में दर्ज 47.7 […]

लेख

बजट में हो रोजगार पर ध्यान

कई सर्वेक्षण तथा दोपहिया वाहन जैसे क्षेत्रों के प्रदर्शन से उपजे प्रमाण यही संकेत देते हैं  कि देश में आय वितरण के निचले स्तर पर व्यापक रूप से निराशा का माहौल है। विभिन्न प्रमाण मसलन सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी या उपभोक्ता वस्तु कंपनियों द्वारा आय के मौसम में प्रस्तुत ग्रामीण मांग के अनुमान जैसे […]

कंपनियां

रोजगार के अवसर को बढ़ावा देने में स्टार्टअप अहम

विश्व में भारत के स्टार्टअप के केंद्र के रूप में उभरने के बीच 77 प्रतिशत कंपनियों का मानना है कि देश में रोजगार के अवसर को बढ़ावा देने में नए जमाने की कंपनियों की सकारात्मक भूमिका है। मानव संसाधन समाधान प्रदान करने वाली जीनियस कंसल्टेंट्स के सर्वेक्षण में शामिल 77 प्रतिशत लोगों ने कहा कि […]

लेख

भारत में बेरोजगारी से जुड़ी पहेली की जटिलता

भारत में श्रम बाजार का हाल बताने के लिए बेरोजगारी दर सबसे महत्त्वपूर्ण संकेतक नहीं है। देश में दिसंबर 2021 में बेरोजगारी दर 7.9 प्रतिशत दर्ज की गई थी। इसका यह मतलब कतई नहीं था कि शेष 92.1 प्रतिशत लोग रोजगार वाले थे। इसका यह मतलब भी नहीं था कि देश में काम करने लायक […]

लेख

उपभोक्ता, आजीविका पर नहीं विदेशी पूंजी पर सरकारों का जोर

करीब वर्ष 2007 के बाद से ही देश का खुदरा उद्योग नीतिगत ध्यान के केंद्र में रहा है लेकिन यह बात भी उसे ढांचागत बदलाव के अनिवार्य असर से बचाने में नाकाम रही है। वितरकों का असहयोग इसका ताजा प्रमाण है। विडंबना यह है कि दो दशक से अधिक समय में भारतीय खुदरा नीति पूरी […]

लेख

दिसंबर 2021 में उपभोक्ताओं की धारणा हुई कमजोर

दिसंबर 2021 में उपभोक्ताओं की धारणा मजबूत होने का सिलसिला थम गया। दिसंबर से पहले लगातार पांच महीनों से उपभोक्ताओं का मिजाज मापने वाला सूचकांक लगातार चढ़ता जा रहा था। मगर दिसंबर में उपभोक्ता धारणा सूचकांक 4.4 प्रतिशत फिसल गया। इसके साथ ही अक्टूबर और नवंबर में अर्जित बढ़त पर भी पानी फिर गया। इस […]

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दिसंबर में कमजोर हुई देश के उपभोक्ताओं की धारणा

दिसंबर 2021 में उपभोक्ताओं की धारणा कमजोर प्रतीत हो रही है। अब तक उपलब्ध संकेतों के अनुसार नवंबर की तुलना में इस महीने उपभोक्ताओं की धारणा कमजोर रह सकती है। जून 2021 के बाद यह पहला महीना होगा जब उपभोक्ताओं की धारणा कमजोर रहेगी। जुलाई 2021 के बाद हरेक महीने उपभोक्ताओं की धारणा मजबूत हो […]

लेख

सवाल बरकरार

देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की गणना को लेकर होने वाले विवाद समाप्त होने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। महामारी और उससे जुड़े लॉकडाउन के कारण रोजगार, मांग और उत्पादन को जो क्षति पहुंची है उसने इस बहस को दोबारा केंद्र में ला दिया है कि क्या जीडीपी के आंकड़े जमीनी हकीकत […]

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श्रम भागीदारी दर में गिरावट से जूझता भारत

बेरोजगारी दर में तेजी या श्रम भागीदारी दर (एलपीआर) में कमी की एक सीमा होनी चाहिए। भारत में रोजगार मोटे तौर पर अनौपचारिक किस्म का है और वेतन भी काफी कम दिए जाते हैं इसलिए लोग बिना रोजगार के नहीं रह सकते या लंबे समय तक श्रम बाजार से दूर नहीं रह सकते हैं। अनौपचारिक […]

लेख

कोविड-19 के आर्थिक प्रभाव से उबर नहीं सके हैं आम परिवार

उच्च तीव्रता वाले आर्थिक संकेतकों की बात करें तो महामारी के कारण लगे आर्थिक झटके से निपटने के मामले में उपभोक्ता रुझानों में सुधार ही सबसे कमजोर रहा है। यह अत्यधिक कष्टप्रद रूप से धीमा भी रहा है। नवंबर 2021 का उपभोक्ता रुझान सूचकांक, महामारी से प्रभावित नवंबर 2020 के रुझानों की तुलना में 16.1 […]