इस साल भारत अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है। इसे यादगार बनाने के लिए भारत सरकार ने आजादी के अमृत महोत्सव के तहत कई योजनाएं बनाई है। इस दिन को खास बनाने के लिए संस्कृति मंत्रालय ने 'हर घर तिरंगा' नामक अभियान चलाया है जिसके तहत 20 करोड़ तिरंगे झंडे पूरे देश में लगाए जाएगे। सामान्य धारणा के विपरीत हमारा तिरंगा पहली बार लाल किले में नहीं फहराया गया था। यह देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के द्वारा इंडिया गेट के समीप प्रिंसेस पार्क में फहराया गया था। 14 और 15 अगस्त के बीच की रात जब भारत आजाद हुआ तब संविधान सभा ने लुई माउंटबेटन को अंतरिम गवर्नर जनरल बनाने का निर्णय लिया। माउंटबेटन के प्रस्ताव को स्वीकार करने के बाद जब नेता सभा भवन को छोड़कर बाहर निकलने लगे, तब बाहर भीड़ इतनी अधिक थी कि उनका विधानसभा भवन से बाहर निकलना मुश्किल था। लुई माउंटबेटन की बेटी पामेला लिखती हैं कि उस समारोह के बाद कुछ समय के लिए तो इतनी भीड़ थी कि विधानसभा भवन के गेट से बाहर निकलना मुश्किल था। 15 अगस्त 1947 के दिन लॉर्ड माउंटबेटन ने पहले गवर्नर जनरल के रूप में शपथ ली। इसके बाद नेहरू के साथ रोशनआरा बाग जाकर वहां पहले से एकत्रित बच्चों और उनके माता-पिता से मिले। फिर वो प्रिन्सेस पार्क में आयोजित मुख्य समारोह में पहुंचे। यहाँ प्रधान मंत्री नेहरू को ब्रिटिश झंडे यूनियन जैक को नीचे उतारना था और तिरंगा फहराना था। इसके बाद एक छोटी सी परेड होनी थी। हालांकि बाद में प्लान बदल गया। द प्रिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार जब नेहरु से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह आज के दिन सभी को खुश देखना चाहते है। यदि ब्रिटिश झंड़े को उतारने से किसी ब्रिटिश की भावनाएं आहत होती है तो ऐसा नहीं किया जाना चाहिए। पार्क अपार जनसमूह से भरा हुआ था फिर भी नेहरु और माउंटबेटन समारोह स्थल पर पहुंचने में सफल रहे। इसके बाद नेहरू ने राष्ट्रध्वज फहराया फिर राष्ट्रगान हुआ और 31 तोपों की सलामी दी गई। नेहरू 16 अगस्त को ही लाल किले पहुंच सके, वहां पहुंचकर उन्होंने तिरंगा फहराया, पहला स्वतंत्रता दिवस का भाषण दिया और अपने आपको देश का 'प्रथम सेवक' कहा।
