देश की दो प्रख्यात दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियों रिलायंस जियो और भारती एयरटेल द्वारा आगामी नीलामी में 62,000 करोड़ रुपये से 80,000 करोड़ रुपये के बीच खर्च किए जाने की संभावना है। इस घटनाक्रम से अवगत अधिकारियों का कहना है कि इन कंपनियों द्वारा बोली प्रक्रिया के लिए तय फॉर्मूले के आधार पर 3.5 गीगाहर्ट्ज और मिलीमीटर बैंड में 5जी स्पेक्ट्रम खरीदे जाने की योजना है। वहीं वीआईएल नई दावेदार अदाणी समूह भी इस नीलामी प्रक्रिया में हिस्सा लेने की संभावना तलाश रही हैं। विश्लेषकों का कहना है कि इन दो स्पेक्ट्रम बैंडों की बिक्री से करीब 100,000 करोड़ रुपये हासिल हो सकते हैं। एक दूरसंचार कंपनी का मानना है कि उसे अगले दो तीन साल में स्पेक्ट्रम के लिए 40,000 करोड़ रुपये और नेटवर्क निर्माण पर अन्य 60,000 करोड़ रुपये निवेश होने की संभावना है। कुल लागत बढ़कर 150,000 करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है। भले ही, अच्छी बात यह है कि कंपनियों को स्पेक्ट्रम के लिए भुगतान 7.2 प्रतिशत ब्याज के साथ 20 किश्तों में करना होगा जिससे उन पर सालाना वित्तीय खर्च का दबाव काफी घट जाएगा। दूरसंचार कंपनियों को फिर से 700 मेगाहर्ट्ज बैंड दिए जाने की संभावना है, जिसमें 5जी उपकरण उपलब्ध है। इन कंपनियों में चर्चा से अवगत सूत्रों का कहना है कि वे 3.5 गीगाहर्ट्ज में 80 मेगाहर्ट्ज और मिलीमीटर बैंड में 1,000 मेगाहर्ट्ज हासिल करने के लिए पूरे भारत में बोलियों के लिए विभिन्न समावेश पर काम कर रही हैं। या फिर ये कंपनियां 3.5 गीगाहर्ट्ज में 100 मेगाहर्ट्ज और मिलीमीटर बैंड में 1,000 मेगाहर्ट्ज के वैश्विक मानक पर अमल कर सकती हैं, जो मजबूत नेटवर्क तैयार करने के लिए मूल जरूरत है। ऐसे नेटवर्क के लिए संयुक्त तौर पर आधार कीमत के हिसाब से 77,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च करने की जरूरत होगी। वोडाफोन आइडिया ने कहा है कि उसके द्वारा 5जी के लिए इस्तेमाल की अधिक जरूरत नहीं लग रही है और वह 5जी में स्पेक्ट्रम सिर्फ कुछ खास क्षेत्रों में अपने 4जी स्पेक्ट्रम की मदद के लिए खरीदेगी। एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है, 'लेकिन अपना व्यवसाय बररकार रखने के लिए उसे उन सर्किलों में 5जी स्पेक्ट्रम खरीदना हागा, जहां वह ग्राहकों की संख्या के आधार पर प्रमुख दो कंपनियों में शुमार है। वहीं अगर अदाणी समूह द्वारा कंज्यूमर मोबिलिटी पर जोर नहीं दिए जाने की अपनी रणनीति पर कायम रहता है तो कुछ सर्किलों को छोड़कर नीलामी में मूल्य निर्धारण पर कोई दबाव नहीं पड़ेगा।' दूरसंचार कंपनियों द्वारा अपनी जरूरत के आधार पर अन्य बैंडों में भी स्पेक्ट्रम खरीदने की संभावना है। रिलायंस जियो कुछ सर्किलों में 850 मेगाहर्ट्ज बैंड में अतिरिक्त स्पेक्ट्रम खरीद सकती है। उसके पास पूरे देश में 1800 बैंड की 10 मेगाहर्ट्ज और 2300 बैंड श्रेणी में 40 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम है। 850 बैंड में, तीन सर्किलों में कंपनी के पास 10 मेगाहर्ट्ज और 8 सर्किलों में 6 से ज्यादा मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम उपलब्ध है। उसकी प्रतिस्पर्धी एयरटेल भी 900 मेगाहर्ट्ज बैंड में स्पेक्ट्रम के लिए अपनी जरूरत को मजबूत बना सकती है। वहीं वीआईएल समान राह पर आगे बढ़ेगी।
