वैश्विक और घरेलू ब्रोकरेज कंपनियों ने पेट्रोल, डीजल और विमान ईंधन (एटीएफ) पर नए कर लगाने के सरकारी कदम के बावजूद रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) पर 'खरीदें' रेटिंग बरकरार रखी है। इन नए करों की घोषणा शुक्रवार को की गई थी। सरकार द्वारा नए ईंधन करों की घोषणा के बाद भी गोल्डमैन सैक्स, बैंक ऑफ अमेरिका सिक्योरिटीज, नोमुरा और जेफरीज समेत प्रमुख आठ ब्रोकरों ने सोमवार को इस शेयर के लिए खरीदें रेटिंग दी थी। दूसरी तरफ, मॉर्गन स्टैनली ने 'ओवरवेट' का दर्जा बरकरार रखा है, वहीं ब्रोकरेज फर्म हैटोंग सिक्योरिटीज ने आरआईएल पर 'आउटफर्म ' की रेटिंग दी है। ब्रोकरों द्वारा उत्साहजनक नजरिये से रिलायंस के शेयर को शुक्रवार की गिरावट के बाद सोमवार को शेयर बाजारों पर मजबूत होने में मदद मिली। शुक्रवार को इस शेयर में 19 महीने में एक दिन का सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई। आरआईएल का शेयर सोमवार को बीएसई पर दिन के कारोबार में 32.9 रुपये या 1.4 प्रतिशत चढ़ गया और आखिर में पूर्ववर्ती दिन के बंद भाव के मुकाबले 0.2 प्रतिशत तक चढ़कर 2,413.95 रुपये पर बंद हुआ। वहीं मंगलवार को भी इस शेयर में करीब 0.75 प्रतिशत तक की तेजी दज की गई। इसके विपरीत ओएनजीसी, ऑयल इंडिया, मंगलूर रिफाइनरी ऐंड पेट्रोकेमिकल्स (एमआरपीएल) और हिंदुस्तान ऑयल एक्सप्लोरेशन जैसे प्रतिस्पर्धियों के शेयर सोमवार को गिरावट में रहे और इनमें 3.3 प्रतिशत से लेकर 5.7 प्रतिशत के बीच कमजोरी दर्ज की गई। बीएसई से बीएस रिसर्च ब्यूरो द्वारा एकत्रित आंकड़े के अनुसार, दो दिनों में, ऑयल इंडिया में करीब 20 प्रतिशत की कमजोरी आई, जिसके बाद ओएनजीसी में 16.8 प्रतिशत और एमआरपीएल में 13 प्रतिशत की गिरावट आई। दो दिन में आरआईएल, एचओईसी, और सीपीसीएल में बीएसई पर 4.6 प्रतिशत तथा 6.9 प्रतिशत के बीच गिरावट आई। 4 जुलाई को जारी ताजा रिपोर्ट में मॉर्गन स्टैनली ने कहा है कि सरकार द्वारा लगाए गए ईंधन करों से आरआईएल पर सीमित प्रभाव पड़ेगा। उसने कहा है कि कंपनी कर के बावजूद कम से कम 15 डॉलर प्रति बैरल पर अपना सकल रिफाइनरी मार्जिन (जीआरएम) बनाए रख सकती है। ब्रोकरेज फर्म ने कहा है कि इस जीआरएम का मतलब होगा, रिलायंस के लिए आय अनुमानों में सुधार होना। दूसरी तरफ, गोल्डमैन सैक्स का मानना है कि निर्यात पर कर से रिलायंस के जीआरएम पर प्रभाव 1.50 डॉलर प्रति बैरल से 12.70 डॉलर प्रति बैरल के दायरे में होगा। ब्रोकरेज को रिलायंस के निर्यात में सुधार नहीं होने पर उसके सिंगापुर संबंधित जीआरएम के लिए जोखिम बढ़ने की आशंका है। गोल्डमैन सैक्स ने कहा है कि कंपनी के जीआरएम में प्रत्येक 1 डॉलर प्रति बैरल के बदलाव से उसके एबिटा पर मार्च 2023 और मार्च 2024 में समाप्त होने वाले वर्षों में तीन प्रतिशत तक प्रभाव पड़ने की आशंका है। इस बीच, जेफरीज ने भी मार्च 2024 में समाप्त हो रहे वर्ष के लिए रिलायंस का रिफाइनिंग एबिटा अनुमान घटाना उचित नहीं समझा है। ब्रोकरेज के अनुसार, कर का प्रभाव मार्च 2023 में समाप्त वर्ष के लिए कंपनी के एबिटा अनुमान में चार प्रतिशत की कटौती की जा सकती है।
